“भू-माफियाओं की साजिश पर छत्तीसगढ़ सरकार की सर्जिकल स्ट्राइक!…”नामांतरण के जाल को तोड़कर जनता को दी गई बड़ी राहत…

रायपुर।छत्तीसगढ़ में भूमि हस्तांतरण और नामांतरण को लेकर दशकों से जारी दलाली, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही के कुचक्र पर अब सरकार ने करारा प्रहार किया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अगुवाई में राजस्व प्रशासन में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने भू-राजस्व संहिता में बड़ा संशोधन किया है। अब तहसीलदार नहीं, बल्कि रजिस्ट्रार और सब-रजिस्ट्रार खुद नामांतरण की प्रक्रिया पूरी करेंगे। यह बदलाव न केवल तकनीकी है, बल्कि यह वर्षों से पिसती आम जनता के हक में उठाया गया क्रांतिकारी कदम है।
अब पंजीयन अधिकारी को मिला नामांतरण का अधिकार – खत्म हुआ ‘बिचौलियों का खेल’ :राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा 24 अप्रैल को जारी अधिसूचना के अनुसार, अब रजिस्ट्री कराने वाले पंजीयन अधिकारी (रजिस्ट्रार/सब-रजिस्ट्रार) को ही उस विक्रय पत्र के आधार पर नामांतरण की शक्ति दे दी गई है। पहले यह अधिकार तहसीलदारों के पास था, जहां दलालों का बोलबाला और फाइलों की धूल वर्षों तक नाम बदलवाने के इंतज़ार में पड़ी रहती थी।
जनता की लड़ाई का जीत… या सिस्टम को झकझोरने की शुरुआत? :राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा ने इस फैसले को जनहितैषी और दूरदर्शी करार दिया है। उन्होंने दो टूक कहा, “यह निर्णय ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में भूमिहीनों, किसानों, छोटे ज़मीन खरीदारों के लिए एक राहत है। भ्रष्टाचार पर चोट है और न्याय की दिशा में बड़ा कदम है।” विभागीय सचिव अविनाश चंपावत के अनुसार यह आदेश 24 अप्रैल से पूरे प्रदेश में लागू हो चुका है।
राजस्व संहिता की धारा 110 में बड़ा फेरबदल – तहसीलदारों की एकाधिकार सत्ता टूटी : अब तक छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता की धारा 110 के तहत तहसीलदार ही नामांतरण का अधिकार रखते थे, जिससे फाइलें सालों तक अटकती थीं। लेकिन अब रजिस्ट्रेशन के साथ ही नामांतरण की प्रक्रिया अपने आप पूरी होगी — यानी “एक दस्तावेज, एक प्रक्रिया, एक समाधान”।
क्या अब थमेगा भू-माफियाओं और भ्रष्ट तहसीलदारों का खेल? : इस निर्णय से उन भू-माफियाओं को तगड़ा झटका लगा है जो नामांतरण में देरी करके अवैध सौदों, दोहरी बिक्री और जालसाजी को अंजाम देते थे। साथ ही, भ्रष्ट अधिकारियों की उस सांठगांठ पर भी चोट पहुंची है, जो नामांतरण को रिश्वतखोरी का अड्डा बनाए बैठे थे।
छत्तीसगढ़ में ‘रजिस्ट्री टू नामांतरण’ – अब बिना चक्कर, बिना रिश्वत, सीधे अधिकार : छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बार फिर साबित किया है कि इच्छाशक्ति हो तो व्यवस्था बदली जा सकती है। यह कदम न केवल नामांतरण की प्रक्रिया को आसान बनाएगा, बल्कि जमीन से जुड़ी कई सामाजिक और आर्थिक विसंगतियों को भी दूर करेगा।