रायगढ़ आयुर्वेद चिकित्सालय में बासन्तिक वमन का हुआ आयोजन, 32 लोग हुए लाभान्वित…

रायगढ़, 21 अप्रैल 2025। दवा-निर्भर आधुनिक चिकित्सा पद्धति के इस युग में आयुर्वेद ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि रोगों का स्थायी उपचार केवल लक्षणों से नहीं, उनकी मूल जड़ों से होता है। जिला आयुष अधिकारी डॉ. सी.एस. गौराहा के मार्गदर्शन में शासकीय आयुर्वेद जिला चिकित्सालय रायगढ़ में पदस्थ डॉ. रविशंकर पटेल (एम.डी. कार्यचिकित्सा) द्वारा बासंती वमन चिकित्सा का सफल आयोजन किया गया, जिसमें 32 लोगों ने भाग लेकर लाभ प्राप्त किया।
स्वस्थ जीवन की कुंजी,त्रिदोषों का संतुलन : आयुर्वेद के अनुसार वात, पित्त और कफ, ये तीनों शरीर के मूल नियंत्रण तंत्र हैं। इनका असंतुलन ही रोगों की जड़ है। जब ये दोष बिगड़ते हैं, तब शरीर में ‘आम’ (विषाक्त पदार्थ) उत्पन्न होता है, जो अनेक जटिल बीमारियों का कारण बनता है। पंचकर्म चिकित्सा द्वारा इन दोषों को शुद्ध कर शरीर से बाहर निकाला जाता है, जिससे संपूर्ण शरीर भीतर से निरोग होता है।
कफजन्य रोगों का कारगर शोधन उपाय : डॉ. रविशंकर पटेल ने बताया कि वमन कर्म कफ दोष की शुद्धि हेतु की जाने वाली विशेष प्रक्रिया है। कफ का प्रमुख स्थान अमाशय माना गया है। वमन द्वारा अमाशय तथा कफ दोष – दोनों की गहराई से शुद्धि की जाती है। इस प्रक्रिया में मदनफल, मुलेठी जैसी औषधियों का प्रयोग कर मुख मार्ग से वमन कराया जाता है, जिससे दूषित कफ और पित्त शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
हर वर्ष वमन, रोगों से मुक्ति का प्राकृतिक उपाय : वमन चिकित्सा दो प्रकार से की जाती है :
- स्वस्थ व्यक्तियों में, रोगों की रोकथाम और स्वास्थ्य संरक्षण हेतु प्रत्येक वर्ष बसंत ऋतु में।
- रोगग्रस्त व्यक्तियों में, कफजन्य व्याधियों जैसे सर्दी, खांसी, दमा, अजीर्ण, अम्लपित्त, थायरॉइड, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, चर्म रोग, एलर्जी, ग्रंथियां, फाइलेरिया आदि के समूल निवारण हेतु, किसी भी ऋतु में।
रोग नहीं, दोष का उपचार है आयुर्वेद की विशेषता : डॉ. पटेल ने कहा कि आयुर्वेद रोग का नाम नहीं देखता, वह दोष देखता है अर्थात, बीमारी के मूल कारण को पहचानकर उसका उपचार करता है। यही कारण है कि थायरॉइड, बीपी, मधुमेह जैसी बीमारियां, जिन्हें आधुनिक चिकित्सा आजीवन दवाओं से नियंत्रित करने की बात करती है, आयुर्वेद इन्हें दोषानुसार उपचार कर समूल नष्ट कर सकता है। उन्होंने कहा, “जिस प्रकार किसी वृक्ष की जड़ काट दी जाए तो वह दोबारा नहीं उगता, उसी प्रकार दोषों का समुचित शोधन कर रोगों को जड़ से मिटाया जा सकता है।”
शरीर का वार्षिक बीमा है वमन कर्म : डॉ. पटेल ने बासंती वमन को एक आवश्यक वार्षिक परंपरा बताया। उन्होंने कहा, “जैसे हम अपने जीवन बीमा का हर साल नवीनीकरण करते हैं, वैसे ही शरीर के दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए हर वर्ष वमन कर्म कराना चाहिए। यह शरीर का प्राकृतिक बीमा है।”
स्वस्थता के इस अभियान में सामूहिक सहयोग : इस कार्यक्रम की सफलता में चिकित्सालय स्टाफ, शिव परीक्षा, मालती बाई और किशोर बाग का विशेष योगदान रहा।
अब समय आ गया है कि समाज औषधि-निर्भरता से आगे बढ़े और आयुर्वेद की इस वैज्ञानिक, प्राकृतिक और शुद्ध जीवनशैली को अपनाए। वमन जैसे परंपरागत शोधन विधियों के माध्यम से रोगों का नाश संभव है – न केवल दवाओं से राहत, बल्कि दोषों से मुक्ति ही है असली स्वास्थ्य।