रायगढ़

भूपदेवपुर रेलवे स्टेशन बना ‘कोयला व धूल की कब्रगाह’, प्रशासन की उदासीनता से जनता बेहाल…

खरसिया (रायगढ़): दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के झारसुगुड़ा-बिलासपुर रेल मार्ग पर स्थित भूपदेवपुर रेलवे स्टेशन अब यात्री सुविधा के बजाय प्रदूषण का अड्डा बन गया है। कोयला साइडिंग से उड़ती धूल और जहरीले कणों ने न सिर्फ यात्रियों को परेशान कर रखा है, बल्कि आसपास के हजारों लोगों का जीना दूभर कर दिया है। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि पिछले 6-7 वर्षों से इस गंभीर समस्या को लेकर रेलवे प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।

धूल की चादर में लिपटा रेलवे स्टेशन, हर सांस में जहर : कोयले की ढुलाई और अनलोडिंग के दौरान उड़ती धूल से यहां का हवा गुणवत्ता स्तर (AQI) बेहद खतरनाक हो चुका है। लोगों को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और त्वचा रोग जैसी बीमारियां हो रही हैं।

स्थानीय निवासी कहते हैं : “हर रोज कोयले की धूल से हमारा जीवन नर्क बन गया है। बच्चे, बुजुर्ग सभी बीमार हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन कान में रूई डालकर बैठा है।”

प्रदूषण का ‘काल’ बन चुकी कोयला साइडिंग :

  1. सांस की बीमारियों का खतरा: हवा में घुली जहरीली कोयला धूल ने फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों को बढ़ा दिया है।
  2. यात्रियों को भारी दिक्कतें: गाड़ियों के इंतजार में बैठना तो दूर, प्लेटफॉर्म पर खड़ा रहना भी मुश्किल हो गया है।
  3. प्राकृतिक आपदा का रूप लेता प्रदूषण: आसपास के जलस्रोत और धार्मिक स्थल भी इस कोयला धूल से प्रभावित हो रहे हैं।
  4. खेती-किसानी पर असर: कोयले की धूल से फसलें और पेड़-पौधे नष्ट हो रहे हैं, जिससे किसान परेशान हैं।

रेलवे प्रशासन की चुप्पी! जनता का ‘धैर्य टूटा’, अब होगा बड़ा आंदोलन : स्थानीय लोगों ने रेलवे से तत्काल कोयला साइडिंग को बंद करने या फिर प्रभावी प्रदूषण नियंत्रण उपाय अपनाने की मांग की है। चेतावनी दी गई है कि अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो जनता उग्र आंदोलन करेगी।

अब सवाल यह है कि क्या रेलवे प्रशासन इस गंभीर समस्या पर जागेगा, या फिर लोगों को उनकी तकलीफों के साथ जीने के लिए छोड़ देगा? जवाब जल्द मिल सकता है, क्योंकि जनता अब आर-पार की लड़ाई के मूड में नजर आ रही है!

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)

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