कोतरारोड़ पुलिस की त्वरित कार्रवाई : लापता नाबालिग बालिकाओं को किया सुरक्षित बरामद, शोषण के आरोपियों को भेजा जेल…
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रायगढ़, 07 फरवरी। पुलिस अधीक्षक श्री दिव्यांग पटेल के मार्गदर्शन में कोतरारोड़ पुलिस ने दो अलग-अलग मामलों में गुमशुदा नाबालिग बालिकाओं को सुरक्षित दस्तयाब कर लिया। इन मामलों में दोषी पाए गए आरोपियों को गिरफ्तार कर रिमांड पर भेज दिया गया है। पुलिस की इस तेजी और प्रभावी कार्रवाई से एक बार फिर कानून-व्यवस्था की मजबूती का प्रमाण मिला है।
पहला मामला: शादी का झांसा देकर शोषण, आरोपी गिरफ्तार : 31 दिसंबर 2023 को कोतरारोड़ थाना क्षेत्र में एक नाबालिग बालिका के लापता होने की शिकायत दर्ज की गई थी। पुलिस ने गुमशुदगी का मामला (अप.क्र. 595/23, धारा 363 भा.दं.वि.) दर्ज कर जांच शुरू की। 6 फरवरी 2025 को पुलिस ने 27 वर्षीय आरोपी अरुण माझी को नाबालिग के साथ बरामद किया।
बालिका के बयान और मेडिकल परीक्षण से खुलासा हुआ कि अरुण माझी ने उसे शादी का झांसा देकर बहलाया-फुसलाया और लगातार शारीरिक शोषण किया। इस पर पुलिस ने प्रकरण में धारा 366, 376 भा.दं.वि. और पॉक्सो एक्ट की धाराएं जोड़ते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर रिमांड पर भेज दिया।
दूसरा मामला: स्कूल गई नाबालिग को भगाया, शोषण के आरोप में आरोपी गिरफ्तार : 28 जनवरी 2025 को कोतरारोड़ थाना में एक और नाबालिग बालिका की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई। परिजनों के अनुसार, 27 जनवरी को स्कूल जाने के बाद वह घर नहीं लौटी। पुलिस ने गुम इंसान और अप.क्र. 41/25 धारा 137 (2) BNS के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
पुलिस जांच में बालिका अपने ही गांव में मिली, जहां उसे आरोपी विज्जू उर्फ विजय जोंगडे (24) ने शादी का प्रलोभन देकर भगाया था। आरोपी ने बालिका का शारीरिक शोषण भी किया, जिसके बाद पुलिस ने धारा 65 (1), 87 BNS और पॉक्सो एक्ट की धाराएं जोड़ते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस टीम की सक्रियता से अपराधियों पर कसा शिकंजा : इन दोनों मामलों में पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने यह साबित किया कि नाबालिगों की सुरक्षा में कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा। इन मामलों की सफलता में थाना प्रभारी निरीक्षक त्रिनाथ त्रिपाठी, उप निरीक्षक जे. एक्का, सहायक उप निरीक्षक कुसुस कैवर्त, प्रधान आरक्षक करूणेश राय, आरक्षक चन्द्रेश पाण्डेय, संजय केरकेट्टा, महिला आरक्षक श्यामा सिदार और सुकृता कर्ष की अहम भूमिका रही।
पुलिस की इस तत्परता ने नाबालिगों की सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को फिर से साबित किया है और समाज में यह कड़ा संदेश दिया है कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।