बालोद

रेत चोरों के आगे जिले के जिम्मेदार अधिकारी बेबस

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद/डौंडी। जिले की कई रेत खदानों में खुलेआम अवैध रेत खनन हो रहा है। माफिया के आगे अधिकारी भी बेबस हैं। पंगु व्यवस्था के आगे शिकायतकर्ता भी बेबस नजर आ रहे हैं। जिले की खनिज अधिकारी अपनी तबियत और विभाग में कर्मचारियों की कमी पर घड़ियाली आंसू बहाकर पत्रकारों को ही रुला देती है। जिसके बाद पत्रकार नम आंखों से विदा लेने पर मजबूर हो जाते है, इस बेबसी पर वे आखिरकार अपने अखबार में समाचार कैसे छपवा दे। वही जिला खनिज अधिकारी ज्यादातर फोन रिसीव नहीं करती और कही फोन रिसीव कर बात कर भी लेती है तो वही रटा रटाया पुराना राग अलाप देती है।

जिले के डौंडी ब्लॉक में ग्राम नर्राटोल के पास ही नदी से रोजाना कई गाड़ियों से अवैध रेत उत्खनन कर शहरो में ऊंचे दाम पर बेचा जा रहा है। ग्रामीणों ने नर्राटोला निवासी किसी प्रकाश बघेल का नाम बताया है जो खुलेआम अवैध रेत उत्खनन कर खनिज विभाग, आरटीओ और राजस्व विभाग के मुंह पर कालिख पोत रहा है। नदी में अवैध रूप से रेत उत्खनन कर टाटा कंपनी का टिप्पर क्रमांक सीजी 24 एम 7901 में लोड करते दिखे गए। “खास बात यह है कि इस गाड़ी का इंश्योरेंस, फिटनेस और प्रदूषण प्रमाण पत्र भी नही पाया गया।” वही इनके द्वारा गांव के बीच से और ग्राम पंचायत के सामने से ऐसा अवैध कार्य खुलेआम किया जा रहा है। जिले के एक आदिवासी ब्लॉक में ये हाल है तो पूरे जिले में क्या हाल होगा। वही जिले के विभिन्न घाटों से प्रतिदिन 200 ट्रैक्टर-ट्रालियां अवैध रेत भरकर प्रतिदिन निकल रहे है। जिससे लाखों रुपए का राजस्व नुकसान हो रहा है। नदियों के घाट से रेत उत्खनन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों को ताक पर रख खुलेआम नदी में जेसीबी, ट्रैक्टर, टिप्पर तथा हाईवा चलने से जलीय जंतुओं को नुकसान हो रहा है। एनजीटी के नियमानुसार किसी भी हालत में नदी नालों के अंदर से अवैध रूप से रेत नहीं निकाली जानी चाहिए।

जिले में खनन माफियाओं पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं है खनिज अधिकारी में। जिले में खनन माफियाओं पर कार्रवाई के सवाल पर ही खनिज अधिकारी फोन बंद कर लेते हैं। उन्होंने शिकायतों और इस संबंध में सवाल पूछने वालों के फोन ही उठाना बंद कर दिए हैं। अगर वह फोन रिसीव भी कर लेते हैं तो हेलो-हेलो बात नहीं हो रही आवाज नहीं आ रही का बहाना बनाकर फोन काट देते हैं।

दिनांक 03 मई 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अवैध रेत खनन के मामले में कहा है कि अवैध रेत खनन की वजह से हुई पर्यावरणीय क्षति के लिए कौन जिम्मेवार है और उस पर पर्यावरणीय मुआवजा लगाने के लिए छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड ने क्या कार्यवाही की है इसका जिक्र नहीं है। वही छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारियों को इस संबंध में सूचना दी जाती है तो वे हमेशा की तरह ही कहते है कि बोर्ड के द्वारा समय समय पर नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। लेकिन बालोद जिले में पर्यावरण और प्रदूषण का माजरा ही कुछ और है। जिसमे छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड के जिम्मेदार अधिकारियों के अलावा जिले के प्रशासनिक अधिकारी भी बराबर के जिम्मेदार है।

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)

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