बालोद

सेजेस कुसुमकसा में मनाया गया हिंदी पखवाड़ा

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद/राजहरा। स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट हिंदी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय कुसुमकसा में हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्राचार्या सुनीता यादव ने हिंदी भाषा के महत्व को समझाते हुए कहा कि हिंदी भाषा एक दूसरे को जोड़ने वाली भाषा है इससे राष्ट्रीय एकता को मजबूती मिलती है। हिंदी के व्याख्याता भारत लाल नायक ने हिंदी के विकास के विभिन्न चरणों को स्पष्ट करते हुए कहा कि हिंदी का विकास शौरसैनी तथा अर्धमग्धी अपभ्रंशों से हुआ है। हिंदी का विकास बहुत ही तेजी से हुआ है, हिंदी भाषा अपनत्व का बोध कराती है।

व्याख्याता अशोक कुमार सिन्हा ने कहा की पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रचार करने का श्रेय मात्रा हिंदी भाषा को जाता है। उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से हिंदी और गणित को एक दूसरे के पूरक बताया। व्याख्याता तामसिंह पारकर ने कहा कि हिंदी हमारी जननी भाषा है। जिस भाषा में पिता का प्रेम, मां की ममता और सभी भावों को भरने की क्षमता होती है। हिंदी साहित्य की भाषा है जन-जन की भाषा तथा भविष्य की भाषा है। आज हिंदी समाचार पत्र से लेकर हिंदी ब्लॉग तक अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहा है। साधुवाद तो गूगल को भी जाता है जिसने हिंदी में खोज करने की जगह उपलब्ध कराई। हिंदी इंटरनेट की एक आम लोकप्रिय भाषा बनकर उभरी है। आज जितनी प्रसिद्ध हिंदी भाषा के वेबसाइटों को मिलती है उतनी किसी और को नहीं यह अपने आप में एक प्रतिमान है।

इस अवसर पर राजेंद्र कुमार आवाडे ने कहा कि आज भारत में पश्चिमी संस्कृति को अपनाया जा रहा है जिससे सभी क्षेत्रों में अंग्रेजी का चलन बढ़ा है लेकिन हिंदी जन आंदोलन की भाषा है जो हमें एकता के सूत्र में बांधती है। यह भाषा सृजनात्मकता के विकास की पूर्ति करता है। नवोदित कलमकारों को नवीन श्रृजन के लिए प्रेरित करती है। व्याख्याता कृतिका साहू ने कहा कि हिंदी भाषा के लेखन और उच्चारण में स्पष्टता होने के कारण सभी क्षेत्रों में इसका चलन बढ़ा है।

हिंदी व्याख्याता चंद्रभूषण डाहरे ने संचालन करते हुए बताया कि दुनिया भर में सबसे ज्यादा बोलने वाली भाषाओ के लिस्ट में हिंदी तीसरे नंबर पर है। हिंदी भाषा के विस्तार और महत्व को लोगों तक पहुंचाने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं द्वारा कविता गीत तथा भाषण प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में शाला के समस्त व्याख्यातागण उपस्थित थे।

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)

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