फर्जी आदेश से हिल गया स्वास्थ्य विभाग! संविदा स्वास्थ्यकर्मी का कारनामा, FIR दर्ज – विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल…

रायगढ़। जिले में स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक संविदा ग्रामीण चिकित्सा सहायक ने जाली ट्रांसफर आदेश तैयार कर अपनी पदस्थापना बदलवा ली और विभाग से कार्यमुक्ति भी हासिल कर ली। हैरानी की बात यह है कि विभाग ने बिना किसी सत्यापन के इस आदेश को मान्य कर लिया।
19 अगस्त 2025 को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जतरी में पदस्थ रामसेवक साहू (40 वर्ष) मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) रायगढ़ के कार्यालय पहुंचा। उसने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन छत्तीसगढ़ का एक कथित आदेश प्रस्तुत किया, जिसमें उसका स्थानांतरण रायगढ़ जिले के जतरी से कोरबा जिले के छुरीकला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए दर्शाया गया था। आदेश को वास्तविक मानते हुए विभाग ने उसी दिन उसे कार्यमुक्त कर दिया और नई पदस्थापना पर रिपोर्ट करने का निर्देश जारी कर दिया।
यह फर्जीवाड़ा ज्यादा दिन तक छुपा नहीं रह सका। 4 सितंबर 2025 को CMHO डॉ. अनिल कुमार जगत को रायपुर स्थित राज्य कार्यालय से सूचना मिली कि रामसेवक साहू का कोई ट्रांसफर आदेश जारी ही नहीं हुआ है। तत्काल जांच की गई और यह स्पष्ट हो गया कि प्रस्तुत आदेश फर्जी था।
इसके बाद विभाग में हड़कंप मच गया। डॉ. जगत ने तत्काल कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी रामसेवक साहू के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 318(4), 336(3) और 338 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है। मामले की विवेचना उपनिरीक्षक ए.के. देवांगन को सौंपी गई है। FIR में साफ उल्लेख है कि आरोपी ने कुटरचित आदेश तैयार कर विभाग को गुमराह किया और धोखाधड़ी की।
यह प्रकरण अब कई गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। आखिर विभागीय स्तर पर दस्तावेजों की जांच इतनी सतही क्यों रही? क्या आरोपी ने अकेले यह फर्जीवाड़ा किया या विभाग के भीतर भी किसी की मिलीभगत रही? यदि एक संविदा कर्मचारी इतने बड़े स्तर पर फर्जी आदेश तैयार कर सकता है तो क्या पूरा सिस्टम ऐसे फर्जीवाड़ों के लिए खुला पड़ा है?
जनता के लिए यह मामला बेहद गंभीर है, क्योंकि स्वास्थ्य सेवाएँ सीधे गांव-गांव तक पहुंचती हैं। नियुक्ति और पदस्थापना में यदि इस तरह की धांधली होगी, तो इसका सीधा असर मरीजों की चिकित्सा सुविधाओं पर पड़ेगा। ऐसे फर्जीवाड़े न केवल विभाग की साख को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि लोगों की जान तक खतरे में डाल सकते हैं।
रायगढ़ का यह मामला केवल एक कर्मचारी की करतूत नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र की कमजोरियों का आईना है। अब पुलिस जांच में यह साफ होगा कि दोषी केवल रामसेवक साहू है या फिर विभागीय स्तर पर भी कोई बड़ी साजिश छिपी हुई है।