जशपुर

आलोचना से बौखलाई अफसरशाही : पत्रकार को ही बना दिया “अपराधी”…

जशपुर। जनसंपर्क विभाग की एक महिला अधिकारी इन दिनों सोशल मीडिया और खबरों से इतनी बौखलायी हुई हैं कि मानो किसी पत्रकार ने सवाल नहीं पूछा, बल्कि उनकी कुर्सी ही हिला दी हो। मामला यह है कि एक पत्रकार ने उनके खिलाफ खबर प्रकाशित की और फोटो के साथ सोशल मीडिया पर डाली। बस, इसके बाद अधिकारी महोदया का धैर्य टूट गया और वे थाने की शरण में पहुंच गईं।

थाने में दिए गए आवेदन में उन्होंने लिखा “मेरी अनुमति के बिना मेरा फोटो डाला गया और मेरे खिलाफ झूठा संदेश प्रसारित किया गया।” अब सवाल यह उठता है कि क्या पत्रकार खबर प्रकाशित करने से पहले अब अधिकारियों से “अनुमति-पत्र” लेंगे? क्या सच लिखना और सवाल उठाना अब आईटी एक्ट के अंतर्गत अपराध माना जाएगा?

पत्रकार को सीधे “अपराधी” करार देकर एफआईआर की मांग करना, अफसरशाही की पुरानी चाल को उजागर करता है- सच सामने आते ही पत्रकार को दोषी बना दो। जनता तंज कस रही है कि “अगर हर आलोचना और हर खबर पर पत्रकारों के खिलाफ केस दर्ज होने लगे, तो देश के सारे थाने प्रेस क्लब में बदल जाएंगे।”

असल में, यह लड़ाई किसी फोटो या संदेश की नहीं है; यह लड़ाई है सच बनाम अफसरशाही की। जब पत्रकार ने आईना दिखाया तो अधिकारी महोदया को अपना चेहरा ही असहज लगने लगा। और जब सच असहज लगे, तो सबसे आसान रास्ता है, पत्रकार को अपराधी ठहरा दो और पुलिस को पीछे लगा दो।

जनता पूछ रही है – जिस विभाग का नाम ही जनसंपर्क है, यदि वहीं के अधिकारी जनता की आवाज और पत्रकारों की खबरों से डरकर थाने भागने लगें, तो इस विभाग का नाम बदलकर “जनसे बचाव विभाग” कर देना चाहिए।

सच यही है कि अफसरशाही अब इतनी खोखली हो चुकी है कि एक खबर और एक फोटो से ही उसकी नींव हिल जाती है। अगर आलोचना सहन नहीं हो रही, तो अधिकारी महोदया को चाहिए कि वे कुर्सी छोड़कर सीधे किसी आश्रम की साधना कुटी में चली जाएं – जहां न फोटो खिंचेगा, न खबर बनेगी और न ही पत्रकार परेशान करेगा।

Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!