जशपुर

मुख्यमंत्री के गृह ज़िले जशपुर में पत्रकारों की बग़ावत –  प्रशासनिक दबाव के खिलाफ कुनकुरी में आपात बैठक, जनसंपर्क ग्रुप से सामूहिक बहिष्कार… अपराधी कौन कलेक्टर साहब??…

कुनकुरी/जशपुर। मुख्यमंत्री के गृह ज़िले जशपुर में पत्रकार–प्रशासन टकराव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। कुनकुरी में जिलेभर के पत्रकारों ने आपातकालीन बैठक बुलाकर प्रशासन पर खुले तौर पर “दबाव और दखलअंदाज़ी” का आरोप लगाया। मामला पत्रकार मुकेश नायक से जुड़ा है, जिसने अपने बच्चे के शव को सुंदरगढ़ (ओडिशा) से घर लाने के दौरान जिस तरह की प्रशासनिक उपेक्षा झेली, उसने पूरे जिले को झकझोर दिया।

ओडिशा के सुंदरगढ़ अस्पताल से निकलने के बाद शव वाहन चालक ने छत्तीसगढ़ सीमा में प्रवेश से इनकार कर दिया। लगभग दो घंटे तक जशपुर जिले में कोई शव वाहन उपलब्ध नहीं हुआ। मजबूरी में पत्रकार मुकेश नायक ने अपने बच्चे के शव को स्कूटी पर रखकर घर ले जाने जैसा दर्दनाक कदम उठाया। यह तस्वीर और घटना पूरे पत्रकार संगठन के भीतर तीखी प्रतिक्रिया का कारण बनी।

घटना सामने आने पर कुछ पत्रकारों ने इसे खबर के रूप में प्रकाशित किया। लेकिन विवाद तब भड़का जब खबर छपते ही कलेक्टर रोहित व्यास ने जनसंपर्क ग्रुप में ‘CPR में रिपोर्ट करें’ लिख भेजा और जनसंपर्क अधिकारी नूतन सिदार ने “जी” कहकर समर्थन दिया। यह चैट जैसे ही सोशल मीडिया में वायरल हुई, पत्रकारों में भारी नाराज़गी फैल गई।

इसके बाद जिला भर के पत्रकारों ने कुनकुरी में आपात बैठक बुलाई और विरोध स्वरूप दर्जनों पत्रकारों ने शासकीय जनसंपर्क ग्रुप को स्वयं छोड़ दिया। यह कदम प्रशासन को सीधा संदेश माना जा रहा है – “हम दबाव में नहीं, स्वतंत्र पत्रकारिता में विश्वास रखते हैं।”

जनसंपर्क ग्रुप पर प्रशासनिक नियंत्रण के आरोप : जनसंपर्क ग्रुप एक शासकीय माध्यम है, जहां सरकारी योजनाओं व निर्देशों की जानकारी भेजी जाती है। पर पत्रकारों का आरोप है कि इस ग्रुप को कुछ प्रशासनिक अधिकारी “कंट्रोल रूम” की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं – “…समाचार लिखने से पहले पूछो, और हमारी मर्जी के मुताबिक ही खबर चले…” यानी पत्रकारिता नहीं, अनुशासन और आज्ञापालन की अपेक्षा।

यह पहली घटना नहीं: पत्रकारों को ₹1-1 करोड़ का मानहानि नोटिस : 10 सितंबर 2025 की घटना आज भी पत्रकारों के मन में ताज़ा है। जनसंपर्क अधिकारी नूतन सिदार ने जशपुर के 8 और रायगढ़ के कई पत्रकारों को ₹1-1 करोड़ के मानहानि नोटिस थमा दिए थे। नोटिस को भी जनसंपर्क ग्रुप में डालकर उन्होंने लिखा – “और कोई छूटा तो नहीं?” यह संदेश वायरल हुआ था और प्रदेशभर में पत्रकारों ने इसका विरोध किया। उसी दिन कई जिलों से पत्रकार जशपुर पहुंचे थे और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा था।

प्रशासन पर प्रताड़ना के गंभीर आरोप भी अधर में : मामले की जड़ एक और संवेदनशील प्रकरण है – रविन्द्र राम, जो कलेक्टर दर का कर्मचारी था पर जनसंपर्क दफ्तर में झाड़ू–पोंछा का काम करता था। उसने आरोप लगाया कि अधिकारी नूतन सिदार की प्रताड़ना से परेशान होकर उसने जहर खा लिया। बचने के बाद उसने शिकायतें दर्ज कराईं और अपनी पूरी कहानी पत्रकारों को बताई। खबर प्रकाशित होते ही पत्रकारों पर मानहानि के नोटिस ठोक दिए गए। आज तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई न होना प्रशासन की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल छोड़ता है

CM के गृह ज़िले में ही पत्रकारिता पर पहरा? : जशपुर, जो मुख्यमंत्री का गृह ज़िला माना जाता है, वहां पत्रकारों के साथ ऐसा व्यवहार होना पूरे राज्य में सवाल खड़े कर रहा है-
क्या प्रशासन पत्रकारों की स्वतंत्रता को कुचलना चाहता है?
क्या आलोचना करने पर नोटिस, दबाव और धमकी ही रास्ता बच गया है? क्या जशपुर में अधिकारी अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं?

दर्जनों पत्रकारों का जनसंपर्क ग्रुप छोड़ना सिर्फ विरोध नहीं, एक चेतावनी है“पत्रकारिता सेवा है, गुलामी नहीं।”

जिले में पत्रकार–प्रशासन तनाव चरम पर : इस पूरे प्रकरण के बाद जशपुर में पत्रकार–प्रशासन संबंधों को लेकर राज्यभर में नई बहस छिड़ चुकी है। कई वरिष्ठ पत्रकार इसे “गंभीर लोकतांत्रिक संकट” बता रहे हैं।

जशपुर के पत्रकारों ने साफ कह दिया है – अब चुप रहने का दौर खत्म। मुख्यमंत्री के गृह जिले में उठी यह आवाज आने वाले दिनों में बड़े परिवर्तन का कारण बन सकती है।

  • शव वाहन व्यवस्था की लापरवाही पर जवाबदेही तय की जाए
  • पत्रकारों पर दबाव डालने और नोटिस भेजने की जांच हो
  • जनसंपर्क विभाग के दुरुपयोग पर राज्य सरकार तत्काल हस्तक्षेप करे।

Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

Related Articles

One Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!