जशपुर

पत्थलगांव : शिक्षक मोर्चा ने विधायक के माध्यम से मुख्यमंत्री, सचिव एवम् संचालक के नाम सौंपा ज्ञापन…

हैप्पी भाटिया की कलम से

पत्थलगांव । राज्य शासन द्वारा सभी शासकीय विद्यालयों में युक्तियुक्तकरण के तहत् नई सेटअप लागू की जा रही है, जिसमें प्राथमिक शाला में सिर्फ 2 एवं माध्यमिक शाला में 4 शिक्षक का प्रावधान रखा गया है। जो शिक्षा व्यवस्था के लिए बहुत ही घातक सिद्ध होगा। नई शिक्षा नीति, पढ़ने के बजाय सीखने पर फोकस करती है। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों के विद्यार्थियों को प्रेरित कर उनमें पाठ्यक्रम से और आगे बढ़कर गहन सोच उत्पन्न करना है। विषय ज्ञान से प्रशिक्षित शिक्षकों के द्वारा उनके आंतरिक योग्यता को विकसित करना है। लेकिन युक्तियुक्तकरण नीति के दिशा निर्देश NEP के उद्देश्यों के अनुरूप नहीं है।

प्राथमिक शिक्षा स्तर में 5 कक्षा है। कक्षा 3 से 5 तक हिंदी,अंग्रेजी,गणित और पर्यावरण विज्ञान 4 विषयों को पढ़ाया और सिखाया जाना है। जिसके लिये न्यूनतम 5 शिक्षकों की आवश्यकता होती है। सेटअप-2008 में 1 प्रधानपाठक और 2 शिक्षक का पद था। लेकिन युक्तियुक्तकरण नीति के दिशा निर्देश अनुसार अब 1 प्रधानपाठक और 1 शिक्षक तथा दर्ज संख्या के आधार पर शिक्षक संख्या का निर्धारण किया गया है। जिसके कारण विद्यार्थियों को विषय शिक्षक के द्वारा शिक्षा लाभ से वंचित होना पड़ेगा।

इस व्यवस्था से प्राथमिक शाला सिर्फ मध्यान्ह भोजन केंद्र बनकर रह जायेंगे क्योंकि एक शिक्षक तो विभिन्न जानकारी, डाक, सर्वे, ऑनलाइन एंट्री आदि में उलझा रहता है और 1 शिक्षक के भरोसे 5 कक्षा की पढ़ाई.. ये मुमकिन नहीं लगता।


मिडिल शिक्षा स्तर में कक्षा 6-8 की कक्षाओं की पढ़ाई होती है। इन कक्षाओं में विषय आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है। NEP में 11 से 14 साल की उम्र के बच्चों के लिए कौशल विकास कोर्स शुरू करना है। सेटअप-2008 में 1 प्रधानपाठक और 4 शिक्षक का पद स्वीकृत था। लेकिन अब 1 प्रधानपाठक और 3 शिक्षक रहेंगे तथा दर्ज संख्या के आधार अतिरिक्त शिक्षक रहेंगे। गौरतलब है कि मिडिल स्कूल में 6 विषय पढ़ाना है।

हाई/हायर सेकेंडरी स्तर पर क्लास 9 से 12 की पढ़ाई दो स्टेज में होती है। क्लास 9-10 में सभी 6 विषयों का अध्ययन कराया जाता है। क्लास 11-12 में विषयों को चुनने की आजादी होती है। सभी विषय एवं कक्षा के लिये शिक्षकों की पदस्थापना आवश्यक है। लेकिन विषय शिक्षक नहीं रहने के स्थिति में अन्य शिक्षक/व्याख्याता,ग्रेजुएशन/पोस्ट ग्रेजुएशन के शैक्षणिक योग्यता अनुसार पढ़ाते हैं। युक्तियुक्तकरण नीति बनाते समय इन तथ्यों को ध्यान में नहीं रखा गया है इसलिए माननीय मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी को छात्रहित में युक्तियुक्तकरण नीति के दिशा-निर्देशों पर जमीनी हकीकत के दृष्टिगत पुनर्विचार करना चाहिये क्योंकि, छात्रहित से ही राष्ट्रहित है।

32000 पदों के खत्म होने का है कैलकुलेशन…
प्रदेश में कम से कम 20000 से ज्यादा मिडल और प्राइमरी स्कूल है। वर्तमान में मिडिल स्कूल का सेटअप 1 प्रधानपाठक व 4 शिक्षक की है। इस सेटअप को परिवर्तित को अभी विभाग के द्वारा 1 प्रधानपाठक + 3 शिक्षक कर दिया है। जिससे हर एक स्कूल से 1 पद हमेशा के लिए स्कूल शिक्षा विभाग से खत्म हो जाएगा । यही प्राइमरी स्कूल के सेटअप में भी किया गया है।वहाँ वर्तमान में 1+ 2 का सेटअप है। इसको बदलकर 1+ 1 का सेटअप किया जा रहा है।जिससे प्राइमरी स्कूल का भी एक पद समाप्त हो जाएगा। इस हिसाब से लगभग 20000 पद एक झटके में खत्म हो जायेगे ।

शिक्षकों के इतने सारे पद एक साथ खत्म हो जाने से सीधी भर्ती के पद समाप्त होंगे और वेकेंसी का इंतजार कर रहे लाखों बेरोजगारों के सपनों को आघात होगा।

युक्तियुक्तकरण नीति में विद्यार्थी, शिक्षक और पालक हित को नजरअंदाज किया गया है। इस नीति के दिशा निर्देश से शिक्षा व्यवस्था में सभी प्रकार का शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक दुष्प्रभाव पड़ेगा। अतः शिक्षक मोर्चा ने व्यवस्था को सुदृढ़ करने एवं विभाग को बचाने के लिए माननीय मुख्यमंत्री महोदय, सचिव एवम् संचालक महोदय तक इन बातों को पंहुचाने हेतु ज्ञापन सौंपा। ताकि युक्तियुक्तकरण नीति पर पुनर्विचार कर निर्णय लें जिससे शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सके।।

हैप्पी भाटिया

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)

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