रायपुर : नगर निगम चुनाव में ब्राह्मण महिला प्रत्याशीयों की धूम, भाजपा, कांग्रेस और आप ने उतारे सशक्त उम्मीदवार; राजधानी की व्हाइट हाउस पर ब्राह्मणों का क़ब्ज़ा?…
रायपुर। आगामी नगर निगम चुनाव ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, जहां तीन प्रमुख दलों ने ब्राह्मण महिला प्रत्याशी पर भरोसा जताया है। भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, और अब यह चुनाव एक दिलचस्प मुकाबला बनता जा रहा है।
भाजपा ने मीनल चौबे को उतारा मैदान में : भाजपा ने रायपुर नगर निगम चुनाव के लिए मीनल चौबे को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। मीनल चौबे को रायपुर नगर निगम में लंबा अनुभव है और वह वर्तमान में निगम की नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में हैं। भाजपा ने मीनल को एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में पेश किया है, जो पार्टी के लिए सत्ता में बने रहने की उम्मीद जगा रही हैं। मीनल चौबे के पास राजनीति का गहरा अनुभव है और वह जनता के बीच अच्छी पहचान रखती हैं, जिसे भाजपा एक बड़ा फायदा मान रही है।
कांग्रेस का ब्राह्मण महिला पर भरोसा : कांग्रेस ने भी इस चुनाव में ब्राह्मण महिला पर ही दांव खेला है। पार्टी ने रायपुर के पूर्व महापौर प्रमोद दुबे की पत्नी दीप्ति दुबे को मेयर प्रत्याशी घोषित किया है। दीप्ति दुबे सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं और उन्हें शहर में एक मजबूत नेता के रूप में देखा जाता है। कांग्रेस को विश्वास है कि दीप्ति के नेतृत्व में पार्टी रायपुर नगर निगम चुनाव में एक मजबूत प्रदर्शन कर सकती है।
आम आदमी पार्टी ने पेशेवर डॉक्टर शुभांगी तिवारी को मैदान में उतारा : आम आदमी पार्टी ने भी इस चुनाव में अपने दांव को और मजबूत किया है, और रायपुर से शुभांगी तिवारी को अपना मेयर उम्मीदवार बनाया है। शुभांगी तिवारी पेशे से डॉक्टर हैं और उन्होंने एमबीबीएस के बाद जनरल सर्जरी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। शुभांगी की मां अंजू चंद्रशेखर तिवारी भी दो बार निर्दलीय पार्षद रह चुकी हैं, और उनका राजनीतिक अनुभव भी पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण पक्ष हो सकता है।
चुनाव में कोई भी पार्टी नहीं छोड़ रही है मौका : रायपुर नगर निगम चुनाव में इस बार जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है, जहां भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अपनी-अपनी सशक्त उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि किस पार्टी का प्रत्याशी व्हाइट हाउस की कुर्सी पर बैठता है। चुनावों में ब्राह्मणों की निर्णायक भूमिका को ध्यान में रखते हुए, इन दलों ने महिला प्रत्याशियों को मौका दिया है, जो इस चुनाव को और भी रोमांचक बना रहा है।
सत्ताधारी दल के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल भी बन चुका है, और एक साल की सरकार के बाद यह भी तय होगा कि जनता के बीच उनकी पकड़ कितनी मजबूत है। अब सबकी नजरें 2025 के नगर निगम चुनाव परिणाम पर टिकी हुई हैं, जो यह तय करेंगे कि रायपुर की सत्ता किसके हाथ में होगी।