रायगढ़

रायगढ़ : प्रशासन की जिम्मेदारी आखिर कहां : जलती लाइटें, बुझता सिस्टम, ट्रैफ़िक व्यवस्था पूरी तरह बदहाल…

रायगढ़। शहर की ट्रैफिक व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल या तो खराब हैं, या फिर उनका संचालन ठीक से नहीं हो रहा। इन सिग्नलों के जरिए यातायात व्यवस्था सुधारने की बजाय दुर्घटनाओं की संभावनाएं बढ़ रही हैं। कई स्थानों पर सिग्नल तो लगे हैं, लेकिन अधिकांश समय खराब रहते हैं। वहीं, कई व्यस्त चौराहों पर सिग्नल तक नहीं हैं, जिससे यातायात नियमों का पालन करने की उम्मीद बेमानी लगती है। बिजली गुल होने पर लाइटें बंद हो जाती हैं, और सिग्नल चालू रहने पर भी ट्रैफिक जवान अपनी ड्यूटी से नदारद रहते हैं।

दुर्घटनाओं का बढ़ता खतरा : रेड लाइट पर गाड़ियां रुकने का अनुपात मात्र 50% है, जबकि बाकी वाहन साइड से रास्ता निकाल लेते हैं। इसके बावजूद यातायात विभाग की ओर से कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जाती। चौराहों पर बने पुलिस बूथ भी खाली पड़े रहते हैं, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका और बढ़ जाती है।

नो पार्किंग में पार्किंग और चालान का खेला : शहर में नो पार्किंग क्षेत्रों में खुलेआम वाहन खड़े किए जा रहे हैं, लेकिन चालान काटने की कोई सख्ती नहीं है। ई-चालान की सुविधा होने के बावजूद इसका सही उपयोग नहीं किया जा रहा है। यातायात विभाग की यह अनदेखी नियमों की धज्जियां उड़ा रही है।

प्रशासन की जिम्मेदारी आखिर कहां : शहरवासियों का कहना है कि ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए प्रशासन को गंभीर कदम उठाने चाहिए। खराब सिग्नलों की मरम्मत, ट्रैफिक जवानों की उपस्थिति, और नियमों के सख्त पालन से ही रायगढ़ की यातायात व्यवस्था पटरी पर आ सकती है।

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)

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