रायगढ़

रायगढ़ पुलिस का सख्त ऐलान : सड़क दुर्घटना पीड़ितों को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए होगी त्रुटिरहित विवेचना…

रायगढ़।सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों को शीघ्र और प्रभावी न्याय दिलाने के लिए रायगढ़ पुलिस ने एक नई मुहिम छेड़ दी है। शनिवार को पुलिस कंट्रोल रूम में आयोजित विशेष कार्यशाला में स्पष्ट संदेश दिया गया कि अब हर दुर्घटना मामले में विवेचना तथ्यों और साक्ष्यों के साथ इतनी सशक्त होगी कि मुआवजा दावों में पीड़ित पक्ष को तुरंत राहत मिले।

पुलिस अधीक्षक दिव्यांग कुमार पटेल के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य एकदम साफ था- गलतियों से सीखो, जांच को लोहे जैसा मजबूत बनाओ और अदालत में दोषियों को सजा दिलाकर पीड़ितों को न्याय का हक दिलाओ। एसपी पटेल ने दो टूक कहा, “सड़क हादसे सिर्फ केस फाइल नहीं, किसी परिवार की पूरी जिंदगी होती है। विवेचकों का फर्ज है कि वे अपनी जांच से पीड़ितों का भरोसा बहाल करें और उन्हें त्वरित न्याय दिलाएं।”

विशेषज्ञों ने खोले विवेचना की कमजोर कड़ियों के राज : कार्यशाला में निरीक्षक नासिर खान, एएसआई नंद कुमार सारथी और प्रधान आरक्षक सतीश पाठक ने केस स्टडी के जरिये सड़क दुर्घटना प्रकरणों की गहन विवेचना का विश्लेषण प्रस्तुत किया।इन्होंने यह भी उजागर किया कि कैसे लापरवाहीपूर्ण जांच से पीड़ितों को मुआवजे में देरी होती है और दोषी बच निकलते हैं। खास बात यह रही कि वक्ताओं ने न केवल त्रुटियों को चिन्हित किया, बल्कि उत्कृष्ठ विवेचना के शानदार उदाहरण भी साझा किए।

एमएसीटी मामलों के विशेषज्ञ ने दिया कानूनी फॉर्मूला : कार्यशाला के दूसरे चरण में आमंत्रित वरिष्ठ अधिवक्ता महेंद्र सिंह यादव ने पुलिस अधिकारियों को मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) की बारीकियों से रूबरू कराया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “यदि पुलिस जांच सशक्त और सुसंगत हो तो अदालतें भी त्वरित मुआवजा आदेश जारी करने में संकोच नहीं करतीं।” यादव ने बताया कि घटनास्थल पंचनामा, मेडिकल रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाण-पत्र, वाहन दस्तावेज और बीमा संबंधी साक्ष्य सही प्रारूप में पेश करना कैसे मुआवजा दावों को अजेय बनाता है।

नवाचार से सशक्त होगी पुलिस विवेचना : पुलिस अधीक्षक पटेल ने कार्यशाला के समापन पर कहा, “हर शनिवार इस तरह की कार्यशालाएं आयोजित कर हम अपने विवेचकों को लगातार प्रशिक्षित कर रहे हैं। लक्ष्य एक ही है — दुर्घटना पीड़ितों को न्याय और दोषियों को सजा सुनिश्चित करना।”प्रधान आरक्षक सतीश पाठक ने भी अपने व्यावहारिक अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे ठोस साक्ष्यों के दम पर खरसिया और धरमजयगढ़ क्षेत्र के मामलों में मुआवजा दिलाने में सफलता मिली।

कार्यशाला में जिला मुख्यालय के सभी राजपत्रित अधिकारी और थाना-चौकी प्रभारियों ने अपनी टीम के साथ सक्रिय भागीदारी निभाई। तहसील स्तरीय अधिकारीगण वर्चुअल माध्यम से जुड़े रहे। इस नवाचारपूर्ण पहल से रायगढ़ पुलिस ने संदेश दे दिया है कि अब सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को अदालतों में वर्षों भटकने की नौबत नहीं आने दी जाएगी।

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)
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