अम्बिकापुर

मैनपाट में इंसानियत शर्मसार : चरित्र शंका में पत्नी की गला रेतकर हत्या, बेसहारा हुए मासूम बच्चे, माझी समाज में मचा कोहराम…

सरगुजा। जिले में मैनपाट के शांत जंगलों में उस वक्त खून की चीखें गूंज उठीं, जब एक पति ने पत्नी पर चरित्र शंका के चलते टांगी से उसका गला रेत दिया। यह लोमहर्षक वारदात कमलेश्वरपुर थाना क्षेत्र के नर्मदापुर के खालपारा गांव में सामने आई है, जिसने पूरे माझी समुदाय को हिला कर रख दिया है। नशे, अविश्वास और गुस्से ने मिलकर एक घर को उजाड़ दिया — मां की लाश बरामदे में और पिता सलाखों के पीछे, पीछे रह गए केवल तीन मासूम, जिनकी आंखों में अब सिर्फ खौफ और खालीपन है।

घटना की विभीषिका: पति बना हैवान, पत्नी की ली निर्ममता से जान : बुधवार दोपहर टेलसाय माझी (40) और उसकी पत्नी मुडाई माझी (38) के बीच किसी बात को लेकर बहस हुई, जो देखते ही देखते खूनी टकराव में बदल गई। दोनों नशे में धुत थे और बीते तीन दिनों से आपसी अविश्वास और चरित्र पर संदेह को लेकर झगड़ा चल रहा था। विवाद की पराकाष्ठा तब हुई जब टेलसाय ने पास रखी टांगी उठाकर पत्नी की गर्दन पर ताबड़तोड़ वार कर दिया। खून से लथपथ मुडाई ने वहीं दम तोड़ दिया।

लौटे बच्चों ने देखी मां की लाश, मचा हाहाकार : दंपत्ति के तीन बच्चे 14 वर्षीय बेटी और दो बेटे, उम्र 11 व 9 वर्ष  उस वक्त रिश्तेदारों के घर गए थे। शाम लगभग पांच बजे जब वे लौटे, तो घर के बरामदे में मां की लाश और चारों ओर खून का दरिया देख बुरी तरह चीखने लगे। उनकी चीत्कार सुनकर पड़ोसी जुटे और फौरन पुलिस को सूचना दी गई। यह दृश्य गांव के लोगों की रूह तक कंपा गया।

पुलिस की तत्परता से आरोपी पकड़ा गया : सूचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए कमलेश्वरपुर पुलिस ने आरोपी टेलसाय माझी को जंगल के रास्ते भागते वक्त पकड़ लिया। हत्या में प्रयुक्त टांगी भी बरामद कर ली गई है। आरोपी से पूछताछ जारी है और पुलिस ने हत्या की धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है।

माझी समाज में उबाल, उठी न्याय और सुरक्षा की मांग : इस नृशंस हत्याकांड से माझी समुदाय के भीतर रोष की लहर दौड़ गई है। समाज के वरिष्ठजन इसे केवल पारिवारिक विवाद नहीं, बल्कि सामाजिक पतन का संकेत मान रहे हैं। नशे की गिरफ्त और पारस्परिक अविश्वास ने आदिवासी समाज की जड़ों को झकझोरना शुरू कर दिया है।

मासूम बच्चों के भविष्य पर संकट : मां की लाश और पिता की गिरफ्तारी के बाद तीनों बच्चे बेसहारा हो गए हैं। न उन्हें आश्रय है, न ही कोई सहारा। स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि इन बच्चों को तुरंत सुरक्षा, शिक्षा और पुनर्वास की सुविधा दी जाए।

नशा और अविश्वास आदिवासी अंचल के लिए बनते जा रहे हैं नासूर : मैनपाट जैसे प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर, शांत और सरल जीवनशैली वाले इलाके में नशे की लत और पारिवारिक कलह अब अपराधों का जहर घोल रही है। यह घटना केवल एक परिवार का विनाश नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है।

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)

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