रायपुर

मुस्कान की हत्या : खेत में दफन हो गया एक सपना, CCTV में दिखा संदिग्ध, पुलिस अब भी खाली हाथ…

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सटे खरोरा थाना क्षेत्र अंतर्गत बेल्दार सिवनी गांव में 27 जून को एक नाबालिग छात्रा की हत्या की सनसनीखेज वारदात सामने आई है। मृतका की पहचान 16 वर्षीय मुस्कान धीवर के रूप में हुई है, जो स्थानीय एक निजी स्कूल में 10वीं कक्षा की छात्रा थी। घटना के दिन मुस्कान घर से निकली और फिर कभी वापस नहीं लौटी। उसका शव उसी दिन दोपहर में गांव के बाहर एक खेत में खून से लथपथ अवस्था में मिला। शव के पास से एक धारदार चाकू बरामद किया गया, जिससे हत्या की आशंका और भी प्रबल हो गई।

CCTV में बड़ा खुलासा, रिश्तेदार पर शक :घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने आसपास के क्षेत्रों से CCTV फुटेज खंगालना शुरू किया। एक फुटेज में मुस्कान एक युवक के साथ बाइक पर बैठकर जाती हुई नजर आती है। यह युवक कोई और नहीं बल्कि मुस्कान का दूर का रिश्तेदार साहिल धीवर बताया जा रहा है। इसी CCTV में कुछ समय बाद वही साहिल बाइक पर अकेले वापस लौटता दिखाई देता है। यही दृश्य इस पूरे मामले में साहिल को मुख्य संदेही बना देता है।

आरोपी फरार, पुलिस की लाचारी : CCTV फुटेज के सामने आने के बाद भी खरोरा पुलिस अब तक साहिल धीवर को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। पुलिस का दावा है कि घटना के बाद साहिल रायपुर छोड़कर फरार हो गया है और उसकी गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है। परंतु इस बीच न तो कोई ठोस सुराग मिला है, न ही आरोपी का कोई पता।

पुलिस की इस सुस्ती और कार्रवाई में देरी ने ना केवल पीड़ित परिवार की पीड़ा को बढ़ाया है, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

मुस्कान का परिवार और सामाजिक पृष्ठभूमि : मुस्कान का परिवार एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार है। उसके पिता और बड़े भाई की इलेक्ट्रॉनिक सामानों की दुकान है, जबकि छोटा भाई 8वीं कक्षा में पढ़ता है। मुस्कान पढ़ाई में तेज थी और आगे चलकर शिक्षक बनने का सपना देखती थी। लेकिन वह सपना अब हमेशा के लिए खेत की मिट्टी में दफन हो गया। परिवार के लिए यह घटना न केवल बेटी की मौत है, बल्कि भरोसे और रिश्तों की हत्या भी है।

समाज और कानून की नाकामी : यह घटना केवल एक लड़की की हत्या नहीं है, बल्कि समाज और कानून व्यवस्था की सामूहिक विफलता का प्रतीक बन चुकी है।

  • क्या पुलिस को पहले से साहिल पर संदेह नहीं था?
  • अगर था, तो उसे तुरंत हिरासत में क्यों नहीं लिया गया?
  • CCTV में साफ-साफ सबूत होने के बावजूद अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
    इन सवालों ने प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर अविश्वास खड़ा कर दिया है। समाज यह जानना चाहता है कि आखिर नाबालिग बेटियों की सुरक्षा केवल सरकारी दावों तक क्यों सीमित रह गई है?

साहिल धीवर – आरोपी नहीं, इंसाफ से भागता समाज : साहिल धीवर, जो मृतका का दूर का रिश्तेदार है, आज न्याय और कानून से भाग रहा है। वह सिर्फ एक आरोपी नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक संरचना में छिपे उन खतरनाक मानसिकताओं का प्रतिनिधि है जो रिश्तों की आड़ में अपराध करते हैं। अगर आज साहिल जैसे लोग CCTV में चिन्हित होने के बावजूद कानून की पकड़ से बाहर हैं, तो यह सिर्फ एक व्यक्ति की विफलता नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की पराजय है।

पीड़ित परिवार की अपील और समाज की जिम्मेदारी : मुस्कान के परिजन हतप्रभ, टूटा हुआ और भयभीत महसूस कर रहे हैं। उन्हें डर है कि अगर आरोपी खुलेआम घूमता रहा, तो न्याय नहीं मिलेगा।

अब यह केवल पुलिस या प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि पूरे समाज को एकजुट होकर आवाज़ उठानी होगी
हर नागरिक की ज़िम्मेदारी बनती है कि अगर साहिल धीवर के संबंध में किसी के पास कोई जानकारी हो, तो उसे तुरंत पुलिस को सौंपे।

इंसाफ की अंतिम पुकार : मुस्कान अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसकी मौन चीखें इस व्यवस्था की दीवारों से टकरा रही हैं। यदि हम आज चुप रहे, तो कल यही चीख किसी और बेटी की होगी। पुलिस और प्रशासन को अब सिर्फ बयान नहीं, कठोर कार्रवाई करनी होगीसाहिल धीवर की गिरफ्तारी, त्वरित न्याय प्रक्रिया और पीड़ित परिवार को सुरक्षा देना सरकार की नैतिक, संवैधानिक और मानवीय जिम्मेदारी है।

यदि आपके पास साहिल धीवर से जुड़ी कोई भी जानकारी है, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें। यह सिर्फ एक हत्या नहीं बल्कि पूरी मानवता के विवेक की परीक्षा है।

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)

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