बिलासपुर

बिलासपुर : वन क्षेत्र में रायल्टी पर्ची घोटाला ; हाइकोर्ट ने दिया आदेश, जाने पूरा मामला…

बिलासपुर। पेंड्रा वन क्षेत्र में 121 एनीकटों के निर्माण के दौरान खनिज पदार्थों की सप्लाई में हुई अनियमितताओं को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राज्य शासन और संबंधित विभागों से जवाब तलब किया है।

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि भारी वाहनों से खनिज सामग्री (रेत, गिट्टी आदि) के परिवहन पर बिना रायल्टी पर्ची देखे ही भुगतान किया गया। इस लापरवाही से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। याचिका के अनुसार, ठेकेदार से एक करोड़ 24 हजार 520 रुपये की वसूली की जानी है। मामले में राज्य शासन ने हाई कोर्ट से जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। पेंड्रा क्षेत्र में एनीकट निर्माण के लिए भारी मात्रा में खनिज सामग्री का परिवहन किया गया। नियमानुसार, रायल्टी रसीद के आधार पर ही बिलों का भुगतान किया जाना चाहिए था। लेकिन वन विभाग के कर्मचारियों ने रसीद की जांच किए बिना ही ठेकेदारों को भुगतान कर दिया।

यह जनहित याचिका सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता पुष्पराज सिंह द्वारा दायर की गई। याचिका में कहा गया कि, इस मामले की जानकारी पहले वन विभाग और खनिज विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर दी गई थी। लेकिन कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई। याचिका दायर होने के बाद खनिज विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने वन विभाग और खनिज विभाग से विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस मामले में हुई लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

वन विभाग के अफसरों के जवाब पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने जताई आपत्ति : चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान वन विभाग के अफसरों ने कोर्ट को बताया था कि रायल्टी की रसीदें वन विभाग कार्यालय में उपलब्ध है। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता प्यासी ने वन विभाग के अधिकारियों के जवाब का विरोध करते हुए कहा कि कोर्ट में एक भी रसीद पेश नहीं की है। डिवीजन बेंच ने विभाग के इस जवाब को लेकर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को रिज्वाइंडर पेश करने कहा।

शासन ने बताया, ठेकेदार के खिलाफ रिकवरी की हो रही कार्रवाई : बीते सप्ताह जनहित याचिका पर डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। राज्य शासन की ओर से कोर्ट को बताया कि 15 अक्टूबर 2024 की जांच रिपोर्ट के अनुसार, रायल्टी का भुगतान न करने के लिए ठेकेदार के विरुद्ध 1,00,24,520 रुपये की वसूली बनती है। तय मापदंड से खनिज पदार्थों का अधिक उत्खनन भी किया गया है। कोर्ट ने राज्य शासन को पूरी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच ने दो सप्ताह बाद की तिथि निर्धारित कर दी है।

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)

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