बिलासपुर : आउट आर्फ टर्न प्रमोशन में सरकार ने किया भेदभाव ; हाई कोर्ट ने समानता के अधिकार की सरकार को दिलाई याद…
बिलासपुर। नक्सल आपरेशन के लिए महत्वपूर्ण सूचना जुटाने वाले प्रधान आरक्षक के साथ गृह विभाग ने दोहरा मापदंड अपनाया है। सूचना जुटाने में दो प्रधान आरक्षकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राज्य शासन ने एक को तीन आउट आफ टर्न प्रमोशन दे दिया। एक प्रधान आरक्षक के साथ भेदभाव करते हुए सिर्फ एक प्रमोशन का लाभ दिया। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने समानता के अधिकार का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को नियम व मापदंड के आधार पर आउट आफ टर्न प्रमोशन देने का आदेश दिया है।
विशेष सूचना शाखा पुलिस मुख्यालय में प्रधान आरक्षक के पद पर पदस्थ राजेन्द्र प्रताप सिंह ने अधिवक्ता भिषेक पाण्डेय एवं पीएस निकिता के माध्यम से हाई कोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की थी। दायर याचिका में कहा है कि पदस्थापना के दौरान छग राज्य के अति संवेदनशील एवं नक्सल प्रभावित जिले में हुये एन्टी नक्सल ऑपरेशन में आरक्षक रवि देशमुख एवं उनके द्वारा साहसपूर्ण कार्य किया गया। इस पर विभाग ने रवि देशमुख को तीन आउट ऑफ टर्न प्रमोशन का लाभ दिया। उसके साथ राज्य शासन ने भेदभाव करते हुए सिर्फ एक आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया है। मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय के सिंगल बेंच में हुई।
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता पांडेन ने कहा कि वर्ष 2019, 2020 व 2021 उक्त तीन वर्ष आरक्षक रवि देशमुख एवं याचिकाकर्ता राजेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा छग राज्य के अति नक्सल प्रभावित एवं संवेदनशील क्षेत्र में हुये एन्टी नक्सल ऑपरेशन हेतु महत्वपूर्ण सूचना संकलन एवं अन्य गोपनीय जानकारियों का संकलन किये जाने से उक्त तीनों एन्टी नक्सलाईट ऑपरेशन में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई, इसके बावजूद भी आरक्षक रवि देशमुख को तीन आउट ऑफ टर्न प्रमोशन प्रदान कर उसे सब इंस्पेक्टर बना दिया गया, जबकि याचिकाकर्ता को सिर्फ एक आउट ऑफ टर्न प्रमोशन प्रदान किया गया।
कोर्ट ने दिया समानता के अधिकार का हवाला : मामले की सुनवाई हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में समानता के अधिकार का हवाला देते हुए लिखा है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार के तहत् एवं छत्तीसगढ़ विशेष सशस्त्र बल नियम 1973 के उप नियम 56 (03) के तहत् याचिकाकर्ता को कुल तीन आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देते हुए कंपनी कमाण्डर के पद पर पदोन्नति दी जाए। याचिकाकर्ता को विभाग के समक्ष नए सिरे से अभ्यावेदन पेश करने और राज्य शासन को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विधि अनुरूप प्रक्रिया पूर्ण करने का निर्देश दिया है।