देश को नक्सलवाद से मुक्ति दिलाने की अंतिम लड़ाई: छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन, हिड़मा-देवा समेत टॉप नक्सली घेरे में…

रायपुर। देशभर से नक्सलवाद के सफाए के मिशन पर निकली केंद्र और राज्य सरकारें अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच चुकी हैं। छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर चल रहा सुरक्षा बलों का ऑपरेशन देश के इतिहास का सबसे बड़ा एंटी-नक्सल अभियान बन गया है। इस ऑपरेशन में अब तक कुख्यात नक्सली हिड़मा, देवा, सहदेव और केशव समेत बटालियन नंबर-1 के शीर्ष नेता सुरक्षा बलों की घेरेबंदी में आ चुके हैं।
5 नक्सली ढेर, 100 से अधिक IED जब्त, मुठभेड़ जारी : करीब 4,000 से ज्यादा जवानों ने मंगलवार सुबह से कर्रेगट्टा, नडपल्ली और पुजारी कांकेर की पहाड़ियों को घेरकर 40 घंटे से लगातार अभियान चला रखा है। दोनों ओर से जबरदस्त गोलीबारी जारी है। अब तक 5 नक्सली मारे जा चुके हैं और उनके शव बरामद कर लिए गए हैं। इसके साथ ही 100 से अधिक आईईडी भी बरामद किए गए हैं, जिन्हें जवानों को निशाना बनाने के लिए बिछाया गया था।
हिड़मा और उसके साथियों की तलाश में जंगल खंगाल रही फोर्स : सूत्रों के अनुसार ऑपरेशन का सबसे बड़ा लक्ष्य पीएलजीए और बटालियन नंबर-1 के शीर्ष कमांडरों का सफाया करना है। हिड़मा और उसके साथी इन जंगलों में बंकरों में छिपे हो सकते हैं। फोर्स लगातार पहाड़ियों और गुफाओं की तलाशी ले रही है। 2 से 3 हेलिकॉप्टर हवा से निगरानी कर रहे हैं, जबकि दर्जनों ड्रोन पहाड़ी क्षेत्रों की थर्मल स्कैनिंग में लगे हैं।
CM विष्णु देव साय का बयान: “थोड़ा इंतजार करिए, बड़ी सफलता मिलेगी” : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस ऐतिहासिक ऑपरेशन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमारे जवान पिछले 15 महीनों से लगातार साहस और धैर्य के साथ नक्सलवाद के खिलाफ लड़ रहे हैं। अब जब बड़े नक्सली लीडरों को घेर लिया गया है, तो देश को बड़ी सफलता की प्रतीक्षा करनी चाहिए। यह अभियान निर्णायक सिद्ध हो सकता है।”
31 मार्च 2026 की डेडलाइन और ‘फ्री हैंड’ फोर्स को : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि 31 मार्च 2026 तक देश को पूरी तरह से नक्सलवाद से मुक्त कर दिया जाएगा। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इस ऑपरेशन में फोर्स को पूरी छूट दी गई है। छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र—तीनों राज्यों की फोर्स मिलकर इस “फाइनल वार” को अंजाम दे रही है।
यह सिर्फ मुठभेड़ नहीं, बल्कि विचारधारा के खिलाफ निर्णायक युद्ध है : यह ऑपरेशन सिर्फ कुछ नक्सलियों के खात्मे की कार्यवाही नहीं, बल्कि एक हिंसक और भ्रमित विचारधारा को जड़ से खत्म करने की दिशा में निर्णायक कदम है। अगर इस अभियान में फोर्स को अपेक्षित सफलता मिलती है, तो यह नक्सलवाद के खिलाफ भारत की सबसे बड़ी और अंतिम लड़ाई के रूप में इतिहास में दर्ज हो जाएगी।