जूटमिल में अपहरण, लूट और मारपीट की घटना का पुलिस ने किया चौंकाने वाला खुलासा : चंद घंटों में चारों आरोपी सलाखों के पीछे, लूटी बाइक और मोबाइल बरामद…
● दहशत के बीच पुलिस की सर्जिकल स्ट्राइक, दो बाल अपचारी भी पकड़े गए...

रायगढ। रायगढ़ शहर की जूटमिल थाना सीमा में बुधवार को दिनदहाड़े हुई लूट, मारपीट और अपहरण की वारदात ने शहरवासियों को दहला दिया। मगर इस बार पुलिस की तत्परता ने अपराधियों के हौसले तोड़ डाले। वारदात के महज कुछ ही घंटों के भीतर चारों लुटेरे धर दबोचे गए। आरोपियों में दो बाल अपचारी भी शामिल हैं, जो अपराध की दुनिया में तेज़ी से कदम बढ़ा रहे थे।
घटना उस वक्त घटी जब सक्ती जिले के डभरा निवासी यशवंत बैरागी अपने साथी जीत सिदार के साथ रायगढ़ की लेबर कॉलोनी स्थित दोस्त के घर जा रहा था। रास्ता भटककर वे जूटमिल दुर्गा चौक की एक गली में पहुंच गए, जहां पहले से घात लगाए चार लुटेरों ने उन्हें घेर लिया। पैसों की मांग की गई, और इंकार करने पर मारपीट शुरू कर दी गई। इसके बाद जीत सिदार को जबरन मोटरसाइकिल पर बैठाकर सुनसान इलाके — ट्रांसपोर्ट नगर रोड — तक ले जाया गया, जहां जमकर पिटाई कर उसके मोबाइल से ₹21,000 ऑनलाइन ट्रांसफर कर लिए गए। जाते-जाते बदमाश पीड़ित का मोबाइल और बाइक भी ले उड़े।
BNS की धाराओं में मामला दर्ज:
घटना की गंभीरता को देखते हुए यशवंत बैरागी की शिकायत पर जूटमिल थाना में अपराध क्रमांक 214/2025, धारा 126(2), 119(1), 309(6), 140(2), 3(5) BNS के तहत केस दर्ज किया गया।
पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई:
एसपी दिव्यांग कुमार पटेल के निर्देश पर जूटमिल थाना प्रभारी निरीक्षक प्रशांत राव ने फौरन चार टीमों का गठन किया। चंद घंटों में आरोपियों को चिन्हित कर दबोच लिया गया। पूछताछ में सभी ने अपराध कबूल कर लिया।
गिरफ्तार आरोपी:
- मनीष निषाद, पिता सत्यनारायण निषाद (उम्र 18), निवासी झोपड़ीपारा कबीर चौक, जूटमिल।
- लक्ष्मीकांत उर्फ चिंटू यादव, पिता स्व. प्रमोद यादव (उम्र 19), निवासी झोपड़ीपारा कबीर चौक, जूटमिल।
- दो विधि से संघर्षरत बालक, जिनकी पहचान गोपनीय रखी गई है।
बरामदगी:
- मनीष के पास से लूटी गई मोटरसाइकिल
- लक्ष्मीकांत के पास से पीड़ित का मोबाइल फोन
पुलिस टीम की भूमिका सराहनीय:
घटना के त्वरित खुलासे में जूटमिल थाना प्रभारी प्रशांत राव के साथ एएसआई भागीरथी चौधरी, प्रधान आरक्षक दिलदार कुरैशी, आरक्षक परमानंद पटेल, बंशी रात्रे और अन्य स्टाफ की निर्णायक भूमिका रही।
यह कोई साधारण लूट नहीं थी…यह घटना न सिर्फ एक सुनियोजित अपराध का संकेत देती है, बल्कि यह बताती है कि किस तरह नाबालिग भी अब अपराध के गिरोहों का हिस्सा बनते जा रहे हैं। पुलिस की सतर्कता से बड़ी वारदात टल गई, लेकिन सवाल यह है कि शहर के अंदर गली-कूचों में ऐसे गिरोह क्यों पनप रहे हैं?
अब समय है...कि सिस्टम इन मामलों को “बाल अपचारी” कहकर हल्का न समझे, बल्कि समय रहते अपराध के बीज को कुचला जाए, वरना आने वाले वक्त में ये ‘छोटे’ अपराधी बड़ी वारदातों को अंजाम देंगे।
■ रायगढ़ पुलिस को इस त्वरित कार्रवाई के लिए बधाई, लेकिन नागरिकों को भी सावधानी बरतने की ज़रूरत है। रास्ता भटको नहीं, सतर्क रहो। अपराधी कहीं भी हो सकते हैं।