बिलासपुर

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा कदम : एनआरडीए के जमीन आवंटन घोटाले पर एफआईआर के आदेश…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नवा रायपुर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) द्वारा जमीन आवंटन में अनियमितताओं पर सख्त रुख अपनाते हुए अलॉटमेंट कमेटी के सभी सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने इसे आदेशों की अवहेलना और न्यायिक प्रक्रिया का घोर उल्लंघन करार दिया। इस फैसले से राज्य में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक कड़ा संदेश गया है।

जाने पूरा मामला : एनआरडीए ने 27 सितंबर 2021 को न्यू टैक ग्रुप को जमीन आवंटित की थी, जबकि इस मामले पर याचिका हाईकोर्ट में लंबित थी। 2023 में याचिका पर अंतिम निर्णय आने से पहले ही जमीन आवंटन का यह कदम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ पाया गया। कोर्ट ने इसे गंभीर लापरवाही बताते हुए कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए।

कोर्ट की सख्त टिप्पणियां : सुनवाई के दौरान एनआरडीए के सीईओ और आईएएस अधिकारी सौरभ कुमार को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने उनसे पूछा कि जब मामला विचाराधीन था, तब जमीन का आवंटन किस आधार पर किया गया।

सौरभ कुमार ने सफाई दी कि उन्हें कोर्ट का आदेश समझ नहीं आया। इस पर कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “क्या यह लिख दिया जाए कि एक आईएएस अधिकारी को हाईकोर्ट के आदेश समझ में नहीं आए?” कोर्ट ने इसे बेहद गंभीर मानते हुए अधिकारियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

आईएएस किरण कौशल का नाम आया सामने : सुनवाई के दौरान आईएएस सौरभ कुमार ने बताया कि जमीन आवंटन के समय एनआरडीए में आईएएस किरण कौशल पदस्थ थीं। कोर्ट में इस बयान के बाद प्रशासनिक हलकों में खलबली मच गई है। अब सभी की निगाहें इस पर हैं कि राज्य सरकार इस मामले में किरण कौशल पर क्या कदम उठाती है।

गलत जानकारी पर असिस्टेंट मैनेजर की खिंचाई : कोर्ट ने हलफनामा पेश करने वाले असिस्टेंट मैनेजर को भी तलब किया और हलफनामे में गलत जानकारी देने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और चेतावनी दी कि उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।

एफआईआर के आदेश : हाईकोर्ट ने जमीन आवंटन प्रक्रिया में शामिल अलॉटमेंट कमेटी के सभी सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि यदि याचिका पर फैसला आने तक इंतजार किया गया होता, तो यह स्थिति नहीं बनती।

सरकारी तंत्र के लिए सबक : हाईकोर्ट के इस फैसले ने प्रशासनिक तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर बड़ा संदेश दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया कि सरकारी आदेशों का उल्लंघन और न्यायिक प्रक्रिया की अनदेखी किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का यह कदम प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ एक मिसाल है। जमीन आवंटन में गड़बड़ी और आदेशों की अवहेलना पर कड़ी कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि न्यायिक आदेशों की अवहेलना करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। इस फैसले से सरकारी कार्यप्रणाली में सुधार और पारदर्शिता को लेकर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)
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