बिलासपुर

छत्तीसगढ़ में हाथी और बाघों की हो रही मौत पर हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, सीसीएफ से मांगा शपथ पत्र के साथ जवाब…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में हाथियों की मौत के मामले को लेकर सरकार कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, अब इस पूरे मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लेकर सुनवाई की शुरुआत कर दी है।लगातार वन क्षेत्र के कोर जोन में हाथियों का शिकार हो रहा है। ताजा मामला बिलासपुर के तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिला, जहां करंट की चपेट में आने से एक युवा हाथी की मौत हो गई।

इससे पहले जशपुर, रायगढ़ और अन्य क्षेत्रों में हाथियों की मौत लगातार हो रही है। इस विषय को लेकर दायर याचिका में याचिका करता ने विशेष रूप से जिक्र किया है कि बीते 6 सालों में छत्तीसगढ़ में 70 से अधिक हाथियों का शिकार हो चुका है।

कोर्ट ने व्यक्तिगत शपथ पत्र में जवाब मांगा : मौतों को रोकने में विभाग असफल रहा है. इस दौरान तीन इंसानों की भी मौत हुई, जिसका रिकॉर्ड किसी कारण से सरकारी दस्तावेजों में नहीं है, लिहाजा अब इस पूरे मामले को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने संबंधित विभाग के आला अधिकारियों को फटकार लगाते हुए व्यक्तिगत शपथ पत्र में जवाब मांगा है।

बिलासपुर उच्च न्यायालय में इस पूरे मामले की सुनवाई हो रही है। बिलासपुर में स्थित मुख्य वन विभाग के आला अधिकारी प्रभात मिश्रा से मिली जानकारी के अनुसार, हाथियों की मौत से इनकार नहीं किया जा सकता। बीते सालों में हाथियों की मौत तो हुई है, लेकिन यह आंकड़ा उतना नहीं है, जितना की बताया जा रहा है। रही बात मामलों की जांच और कार्रवाई की, तो वह विभाग लगातार करता रहता है। इस बार बिलासपुर के तखतपुर वन क्षेत्र में हुए हाथी के मौत के मामले में विभाग जांच करवा रहा है। अब मामला न्यायालय में है, लिहाजा इस पर और भी गंभीरता बरती जा जा रही है।

प्रदेश के कई जिले में हाथियों की मौत करंट के चपेट में आ जाने की वजह से होती है। यह कहना है वन विभाग के आला अधिकारियों का, हाल ही में हुई मौत के लिए उन्होंने विद्युत वितरण कंपनी को जिम्मेदार माना है। इस घटना दोहराव न हो इसके लिए वन विभाग विद्युत वितरण कंपनी के साथ मिलकर हैवी इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई केबल को दुरुस्त करने में लगा है। इसकी जानकारी वन विभाग के द्वारा कोर्ट के समक्ष भी रखी गई। लेकिन वन्य जीवों के शिकार और करंट के चपेट में आ जाने की वजह से हो रही मौत के बीच का अंतर काफी ज्यादा है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

अब इस पूरे मामले में 21 नवंबर 2024 को अगले सुनवाई है। इससे पहले वन विभाग के आला अधिकारियों को 10 दिन के भीतर व्यक्तिगत शपथ पत्र में इसका जवाब देना होगा। इस दौरान वन्यजीवों की हो रही मौत और उसके संरक्षण के लिए किया जा रहे काम का गंभीरता से विश्लेषण किया जाएगा। जाहिर सी बात है कि मौत के आंकड़े बताते हैं कि संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्य नाकाफी है, और वन्य जीवों को यूं ही मरने के लिए छोड़ दिया गया है। अगर यह कोर्ट में सिद्ध होता है तो संबंधित अधिकारियों को इसका जवाब देना होगा।

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)

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