छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय चुनाव 2025: भाजपा और कांग्रेस में टक्कर, नए चेहरों और रणनीतियों पर नजर…

छत्तीसगढ़ में 2025 के नगरीय निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है। भाजपा और कांग्रेस ने अपनी-अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। इन चुनावों में राज्य के 10 नगर निगमों की प्रमुख सीटों पर जनता का जनादेश तय होगा। दोनों दलों ने अपनी रणनीति को धार देने के लिए नए चेहरे, वर्गीय प्रतिनिधित्व और लोकलुभावन नीतियों का सहारा लिया है।

भाजपा का दांव: जमीनी कार्यकर्ता और महिला सशक्तिकरण :

भाजपा ने इन चुनावों के लिए सभी 10 नगर निगमों के महापौर पद के उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। खास चर्चा रायगढ़ से भाजपा उम्मीदवार जीवर्धन चौहान की हो रही है, जो चाय बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं। चौहान पिछले 29 वर्षों से भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता रहे हैं। रायगढ़ नगर निगम की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और भाजपा ने चौहान को मौका देकर एक बड़ी सामाजिक और राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है।

इसके अलावा भाजपा ने महिलाओं को भी प्रमुखता दी है। रायपुर से मीनल चौबे, दुर्ग से अलका बाघमार, कोरबा से संजू देवी राजपूत, बिलासपुर से पूजा विधानी और अंबिकापुर से मंजूषा भगत को उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा की इस रणनीति को महिला सशक्तिकरण के रूप में देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मोदी सरकार की गारंटी योजनाओं को भाजपा की सफलता का आधार बताया है।

कांग्रेस की तैयारी: स्थानीय विकास और योजनाओं का सहारा :

दूसरी ओर, कांग्रेस अपनी मजबूत पकड़ के साथ मैदान में उतर रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस राज्य स्तर पर योजनाओं का प्रचार कर रही है। “राजीव गांधी किसान न्याय योजना,” “गोधन न्याय योजना,” और अन्य लोकलुभावन नीतियों ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कांग्रेस की स्थिति को मजबूत किया है।

कांग्रेस का फोकस स्थानीय समस्याओं पर है। पार्टी यह सुनिश्चित कर रही है कि नगर निगमों के विकास के मुद्दे, जैसे सफाई, जल आपूर्ति, और सड़कें, चुनाव प्रचार का हिस्सा बनें। कांग्रेस अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी वर्ग के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए आरक्षण और सामाजिक न्याय पर जोर दे रही है।

भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला मुख्य मुद्दे और चुनौतियां :

  1. स्थानीय विकास: नगर निगम के स्तर पर पानी, सफाई और बुनियादी ढांचे के मुद्दे प्रमुख रहेंगे।
  2. महंगाई और रोजगार: शहरी मतदाताओं के लिए महंगाई और रोजगार सबसे बड़े चुनावी मुद्दे होंगे।
  3. सामाजिक संतुलन: अनुसूचित जाति, जनजाति, महिलाओं और युवाओं को साधना दोनों दलों के लिए अहम होगा।
  4. भाजपा बनाम कांग्रेस: भाजपा की राष्ट्रीय योजनाओं और कांग्रेस की राज्य-स्तरीय योजनाओं के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा।

छत्तीसगढ़ के नगरीय निकाय चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना है। जहां भाजपा ने जमीनी कार्यकर्ताओं और महिलाओं को प्रतिनिधित्व देकर जनता से जुड़ने का प्रयास किया है, वहीं कांग्रेस भूपेश बघेल सरकार की योजनाओं के सहारे अपने आधार को मजबूत करना चाहती है। इन चुनावों के नतीजे न केवल राज्य की राजनीतिक स्थिति को तय करेंगे, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी संकेत देंगे।

क्या इस बार जनता का विश्वास भाजपा पर रहेगा, या कांग्रेस अपने मजबूत गढ़ को बनाए रखेगी? इसका फैसला समय ही बताएगा।

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