घरघोड़ा : श्रमजीवी पत्रकार संघ ने की घरघोड़ा एसडीएम को हटाने की माँग…
◆ मुख्यमंत्री साय से त्वरित हस्तक्षेप की अपील; बीजेपी सरकार की चुप्पी और मौन संरक्षण पर उठे सवाल?...
रायगढ़। जिले के घरघोड़ा में एसडीएम रमेश कुमार मोर की विवादित कार्यशैली और भ्रष्टाचार के आरोपों ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। श्रमजीवी पत्रकार संघ के ब्लॉक अध्यक्ष शैलेश शर्मा ने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर रमेश कुमार मोर के तत्काल स्थानांतरण की माँग की है। शर्मा का आरोप है कि एसडीएम मोर के संरक्षण में क्षेत्र में भ्रष्टाचार का बोलबाला है, जिससे विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं और आमजन की शिकायतों का कोई सुनवाई नहीं हो रहा है।
पत्रकार संघ का कहना है कि शासन ने 27 फरवरी 2024 को आदेश जारी करते हुए मोर का तबादला डिप्टी कलेक्टर खैरागढ़ छुईखदान गड़ई के लिए कर दिया था, लेकिन तबादले के आदेश का पालन अब तक नहीं हुआ है। संघ का आरोप है कि यह स्थिति बीजेपी सरकार की रहस्यमयी चुप्पी और मौन संरक्षण का प्रमाण है, जिससे जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा है और शासन की छवि पर भी गहरा असर पड़ रहा है।
बीजेपी सरकार की ‘मौन सहमति’ पर तीखे सवाल : एसडीएम मोर की कार्यप्रणाली और तबादला आदेश की अवहेलना पर बीजेपी सरकार की ‘मौन सहमति’ ने क्षेत्र में राजनीतिक गर्माहट बढ़ा दी है। पत्रकार संघ का मानना है कि यह चुप्पी भ्रष्टाचार को खुला संरक्षण देने जैसा है। जनता का आक्रोश अब सड़कों पर दिखने लगा है, और स्थानीय अखबारों में अक्सर इस मुद्दे पर सुर्खियाँ बनती रहती हैं। लोगों का कहना है कि एसडीएम को किसका राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जो वे खुलेआम तबादला आदेश की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं।
मुख्यमंत्री से कड़े फैसले की उम्मीद : श्रमजीवी पत्रकार संघ ने मुख्यमंत्री से तुरंत और सख्त कदम उठाने की अपील की है। संघ के अध्यक्ष का कहना है कि यदि जल्द ही श्री मोर को उनके नए मुख्यालय पर पदस्थ नहीं किया गया, तो इससे शासन की साख पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वह मामले की गंभीरता को समझते हुए त्वरित आदेश जारी करें और एसडीएम को नई जगह पदस्थ करें।
जनता में गहरी नाराजगी,पनप रहा आक्रोश : घरघोड़ा क्षेत्र में जनता का गुस्सा चरम पर है। बीजेपी सरकार की चुप्पी और एसडीएम मोर की कार्यशैली से तंग आकर लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिरकार किसकी शह पर वे नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। स्थानीय संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया जा सकता है।