ग्रामोद्योग से गाँवों में नई क्रांति की आहट : राकेश पांडेय का दो-टूक संदेश – “हर पंचायत बने रोजगार की फैक्ट्री”…

रायपुर। “गाँव अब सिर्फ खेती के प्रतीक नहीं रहेंगे, बल्कि रोज़गार और नवाचार के मॉडल बनेंगे।”
यह कहना है छत्तीसगढ़ खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष श्री राकेश पांडेय का, जिन्होंने बुधवार को कुरूद विकासखंड अंतर्गत ग्राम नारी और कोकड़ी का दौरा कर वहाँ चल रही ग्रामोद्योग इकाइयों का सघन निरीक्षण किया।
जहाँ देशभर में बेरोज़गारी की चिंता गहराती जा रही है, वहीं छत्तीसगढ़ के गाँवों में ग्रामोद्योग के ज़रिए रोज़गार की नई चेतना जगी है। श्री पांडेय ने अपने निरीक्षण के दौरान हथकरघा, माटीकला, रेशम धागाकरण और अन्य पारंपरिक एवं लघु उद्योगों को नज़दीक से देखा और ग्रामीणों की मेहनत को सैल्यूट किया।
महिला शक्ति को मिली नई उड़ान : उन्होंने विशेष रूप से महिला सशक्तिकरण और युवाओं की भागीदारी की तारीफ़ करते हुए कहा –
“ग्रामोद्योग सिर्फ एक योजना नहीं, यह गाँव की आत्मा से जुड़ा आंदोलन है। जहाँ महिलाएं और युवा अपनी पहचान खुद गढ़ रहे हैं।”
हर पंचायत में एक उद्योग इकाई की घोषणा : श्री पांडेय ने साफ शब्दों में कहा कि राज्य सरकार की मंशा है कि “हर ग्राम पंचायत में कम से कम एक ग्रामोद्योग इकाई” स्थापित की जाए, जिससे न सिर्फ स्थानीय रोज़गार सृजित हो बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थायी मज़बूती मिले। उन्होंने यह भी जोड़ा कि ग्रामोद्योग सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग का सबसे मजबूत माध्यम है।
अधिकारियों को मिले स्पष्ट निर्देश : निरीक्षण के दौरान उनके साथ ग्रामोद्योग विभाग रायपुर के उपसंचालक श्री पंकज अग्रवाल, पंचायत विभाग धमतरी के अधिकारी, और जनपद पंचायत कुरूद के CEO समेत अनेक अफसर मौजूद रहे।
श्री पांडेय ने निर्देश दिए कि:
- अन्य ग्रामों में भी इस मॉडल को अपनाया जाए
- स्व-सहायता समूहों को तकनीकी और विपणन सहयोग दिया जाए
- प्रशिक्षण कार्यक्रमों को और प्रभावशाली बनाया जाए
धमतरी को बनाया जाएगा मॉडल ज़िला : बोर्ड अध्यक्ष ने कहा कि आने वाले महीनों में धमतरी को ग्रामोद्योग का मॉडल ज़िला बनाने की तैयारी है, जहाँ नई इकाइयाँ स्थापित कर महिलाओं और युवाओं को आत्मनिर्भरता की राह पर लाया जाएगा।
यह निरीक्षण केवल एक सरकारी परंपरा नहीं था, बल्कि यह ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की नींव बन गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रशासन इस विज़न को ज़मीनी हकीकत में बदल पाता है, या फिर यह भी किसी रिपोर्ट की फाइल में सिसकता रह जाएगा।