कम लागत, अधिक मुनाफे का जरिया बना मशरूम उत्पादन – कृषि विज्ञान केन्द्र रायगढ़ में किसानों को मिला व्यावहारिक प्रशिक्षण…

रायगढ़। कृषि विज्ञान केन्द्र, रायगढ़ में आयोजित मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले के विभिन्न विकासखंडों से पहुंचे 22 कृषकों और स्व-सहायता समूहों की महिलाओं ने भाग लिया। इस अवसर पर मशरूम उत्पादन की व्यावसायिक संभावनाओं, वैज्ञानिक तकनीकों और पोषण संबंधी लाभों पर गहन जानकारी प्रदान की गई।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं केन्द्र प्रमुख डॉ. बी.एस. राजपूत ने कहा कि धान की फसल के उपोत्पाद जैसे पैरा का सदुपयोग कर किसान मशरूम उत्पादन से अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन एक कम लागत, अधिक मुनाफा देने वाला कृषि व्यवसाय है, जिसे घरों या छोटे स्तर पर भी आसानी से अपनाया जा सकता है।
प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. मनीषा चौधरी, वैज्ञानिक (आहार एवं पोषण) ने मशरूम के पोषण मूल्य, औषधीय गुणों और विभिन्न प्रकार के मशरूम जैसे पैरा मशरूम, आयस्टर मशरूम, तथा बीज उत्पादन की वैज्ञानिक विधियों की विस्तृत जानकारी दी। प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को वीडियो प्रेजेंटेशन और चल-चित्रों के माध्यम से व्यावहारिक रूप से प्रशिक्षित किया गया।
कार्यक्रम की विशेषता रही प्रगतिशील मशरूम उत्पादक श्री गोपाल पटेल से संवाद और प्रक्षेत्र भ्रमण। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि मशरूम उत्पादन की राह में क्या चुनौतियाँ आती हैं और इनसे कैसे निपटा जा सकता है। उन्होंने इसे ग्रामीण युवाओं, महिलाओं और स्वरोजगार की दिशा में एक सशक्त विकल्प बताया।
इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. के.के. पैकरा, डॉ. सोलंकी एवं डॉ. के.एल. पटेल ने भी सहभागिता निभाई और तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया। कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल जानकारी देना बल्कि कृषकों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस पहल करना था।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम स्थानीय किसानों में वैज्ञानिक सोच और वैकल्पिक कृषि व्यवसायों के प्रति विश्वास को मजबूती प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ।