रायगढ़

एन.एच.एम. कर्मियों का धैर्य टूटा: मानसून सत्र में बड़ा आंदोलन तय, स्वास्थ्य व्यवस्था पर संकट की आहट! सरकार की चुप्पी से गुस्से में संविदा स्वास्थ्य कर्मी, रायगढ़ से उठी निर्णायक संघर्ष की हुंकार…

रायगढ़ | 29 जून 2025 | राज्य के कोने-कोने में लोगों की जान बचाने वाले एन.एच.एम. (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) के संविदा स्वास्थ्यकर्मी अब खुद अपने अस्तित्व और अधिकारों की लड़ाई लड़ने को मजबूर हो गए हैं। लगातार दो दशक से कम वेतन, बिना ग्रेड पे और बिना मूलभूत सुविधाओं के बावजूद जनस्वास्थ्य की रीढ़ बने इन कर्मियों के सब्र का बांध अब टूट चुका है।

सरकार को दो महीने का वक्त दिया, जवाब नहीं आया : मई 2025 में छत्तीसगढ़ प्रदेश एन.एच.एम. कर्मचारी संघ ने रायपुर में स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया और मिशन संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला से मुलाकात कर नियमितीकरण, ग्रेड पे, मेडिकल अवकाश और स्थानांतरण नीति जैसी वर्षों पुरानी मांगों पर चर्चा की थी। अधिकारियों ने “एक माह में सकारात्मक निर्णय” का वादा किया था, लेकिन अब दो माह बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

रायगढ़ से बिगुल : निर्णायक आंदोलन की चेतावनी – रायगढ़ ज़िले में एन.एच.एम. संघ की जिला बैठक हुई, जहाँ आंदोलन की रणनीति तय की गई।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी ने साफ शब्दों में कहा –

“अब सभी जिलों से कर्मी आंदोलन में उतरने को तैयार हैं। यदि सरकार नहीं जागी, तो मानसून सत्र (14 से 18 जुलाई) के दौरान व्यापक और अनिश्चितकालीन आंदोलन होगा।”

रायगढ़ जिला अध्यक्ष शकुंतला एक्का ने तीखा हमला करते हुए कहा –

“हमने अब तक सेवा की, लेकिन अब हमारी चुप्पी को कमजोरी न समझा जाए। शासन की निष्क्रियता सुशासन के दावों की पोल खोल रही है।”

जनस्वास्थ्य पर मंडराता संकट : सरकार की जिम्मेदारी तय – मानसून के इस मौसम में डायरिया, डेंगू, मलेरिया, सर्पदंश जैसी बीमारियां पांव पसारने लगी हैं। ऐसे वक्त में अगर हजारों एन.एच.एम. कर्मी आंदोलन पर उतरते हैं, तो प्रदेश की पूरी प्राथमिक और मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवा चरमरा सकती है। इसका सीधा प्रभाव आमजन पर पड़ेगा और जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।

“हमने छत्तीसगढ़ को स्वास्थ्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाए, लेकिन आज हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं!”
— एन.एच.एम. कर्मचारी, रायगढ़

सरकार के पास अब भी समय है : संवेदनशील फैसला ले –संघ ने राज्य सरकार से दो टूक कहा है कि यदि मांगें न्यायोचित और गैर-राजनीतिक हैं तो फैसले में देरी क्यों?

एन.एच.एम. कर्मियों के आंदोलन से पहले सरकार को चाहिए कि वह निर्णायक और मानवीय निर्णय लेकर संविदा स्वास्थ्यकर्मियों के वर्षों पुराने आक्रोश को सम्मानजनक समाधान दे। यह केवल कर्मियों का आंदोलन नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की जनस्वास्थ्य सुरक्षा का सवाल है।

सरकार को यह तय करना है कि वह पुरस्कार लेने वाली स्वास्थ्य व्यवस्था को अस्थिरता और अव्यवस्था की ओर धकेलेगी या उसे मजबूती देगी।

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)

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