अभद्रता और घूसखोरी के आरोप में तहसीलदार एन.के. सिन्हा को कारण बताओ नोटिस, वायरल वीडियो से खुली कलई…

सक्ती। जिले के जैजैपुर तहसीलदार श्री एन.के. सिन्हा पर भारी प्रशासनिक गाज गिर सकती है। जिला प्रशासन ने तहसीलदार पर गंभीर आरोपों को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। वायरल हुए एक वीडियो ने पूरे राजस्व महकमे की छवि पर गहरा दाग लगा दिया है, जिसमें तहसीलदार सिन्हा न सिर्फ आम नागरिक से अभद्रता करते नजर आ रहे हैं, बल्कि राजस्व प्रकरण के निराकरण के एवज में घूस लेने का आरोप भी उन पर पुख्ता होता दिख रहा है।
प्रशासन की ओर से 4 जुलाई 2025 को जारी नोटिस (क्रमांक 2735/स्थापना/2025) के अनुसार, तहसीलदार एन.के. सिन्हा ने एक राजस्व प्रकरण के दौरान दिलीप कुमार नामक व्यक्ति से पहले 24 मार्च को ₹15,000 तथा 26 मार्च को ₹5,000 की अवैध ऑनलाइन राशि दुर्गेश सिदार के खाते में ट्रांसफर कराकर अनुचित लाभ प्राप्त किया। यही नहीं, प्रकरण से जुड़े लोगों के साथ उनके द्वारा किया गया अभद्र व्यवहार भी कैमरे में कैद हो चुका है, जिसकी क्लिप सोशल मीडिया में तेज़ी से वायरल हो रही है।
सिविल सेवा नियमों का खुला उल्लंघन : कलेक्टर कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि तहसीलदार सिन्हा का यह आचरण छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 03 का स्पष्ट उल्लंघन है, जिससे न केवल सरकारी सेवा की गरिमा को ठेस पहुंची है, बल्कि शासन-प्रशासन की साख भी प्रभावित हुई है।
3 दिन में देना होगा जवाब, वरना होगी कड़ी कार्यवाही : जिला कलेक्टर द्वारा जारी नोटिस में तहसीलदार को निर्देशित किया गया है कि वे 3 दिवस के भीतर स्वयं उपस्थित होकर इस पूरे मामले पर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें, अन्यथा उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रारंभ की जाएगी।
प्रशासनिक हलकों में खलबली, जनता में आक्रोश : इस घटना के बाद पूरे जिले के प्रशासनिक हलकों में खलबली मच गई है। वहीं आम जनता में भी भारी आक्रोश व्याप्त है। स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने कलेक्टर से मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी अधिकारी को तत्काल निलंबित किया जाए।
क्या है वायरल वीडियो में? : वायरल वीडियो में तहसीलदार एन.के. सिन्हा द्वारा एक फरियादी को दुत्कारते और गाली-गलौज करते हुए देखा जा सकता है। साथ ही दूसरे हिस्से में पैसे के लेन-देन की जानकारी और बैंक ट्रांजैक्शन के स्क्रीनशॉट को लेकर स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि रिश्वत ली गई है।
यह मामला न सिर्फ एक भ्रष्ट अधिकारी के गिरते चरित्र की तस्वीर है, बल्कि पूरे राजस्व तंत्र के जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि शासन इस प्रकरण में कितनी सख्ती और पारदर्शिता बरतता है।