रायगढ़

घरघोड़ा : चुनावी गर्मी बढ़ी, अस्थिरता के मंडराए बादल…

घरघोड़ा। नगर पंचायत घरघोड़ा की राजनीति एक बार फिर अस्थिरता के घेरे में आती दिख रही है। चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक माहौल गरमा गया है। टिकट वितरण से उपजे असंतोष और नेताओं की पलटीबाजी की संभावनाओं ने दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस के लिए चुनौती खड़ी कर दी है।

पलटीबाजी से टूटा जनता का विश्वास : पिछले चुनाव में अप्रत्यक्ष प्रणाली से अध्यक्ष का चुनाव हुआ था, लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों को अपने ही पार्षदों के असंतोष का सामना करना पड़ा। कई पार्षदों ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ जाकर सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई, जिसे जनता ने विश्वासघात माना। इस बार भी टिकट से वंचित नेताओं के नाराज होने की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे राजनीति में फिर भूचाल आने की आशंका है।

भाजपा-कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ीं : भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने अपनी उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है, दोनों पार्टियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती असंतुष्ट नेताओं को साधने की है। पिछली बार असंतोष के कारण हुए सत्ता संघर्ष ने दोनों दलों को नुकसान पहुंचाया था। यदि इस बार भी “घर के भेदी” सक्रिय हुए, तो राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है।

क्या इस बार सबक लेंगे दल? : चुनाव के मद्देनजर जनता के विश्वास को बनाए रखना और संतुलित नेतृत्व सुनिश्चित करना दोनों दलों की प्राथमिकता होनी चाहिए। पिछली गलतियों से सीख लेते हुए, पार्टियों को पारदर्शिता और सामंजस्य का परिचय देना होगा।

जनता की निगाहें सतर्क : घरघोड़ा की जनता अब नेताओं की कार्यशैली और वफादारी पर पैनी नजर रखे हुए है। इस बार का चुनाव सिर्फ सत्ता का नहीं, बल्कि भरोसे और स्थिरता का भी है। जनता को सतर्क रहकर सोच-समझकर अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करना होगा।

जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, घरघोड़ा की राजनीति का तापमान बढ़ रहा है। क्या इस बार दलों की रणनीति जनता के विश्वास को कायम रख पाएगी, या फिर अस्थिरता की पुरानी कहानी दोहराई जाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा।

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