रायपुर

जीएसटी विभाग में अनियमितताएं : सरकार को हो रहा करोड़ों का नुकसान, कमिश्नर पर लग रहे गंभीर आरोप; मंत्री जी के नेतृत्व पर भी सवाल??…

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सुशासन की बात करने वाली साय सरकार के लिए स्टेट जीएसटी विभाग की अनियमितताएं एक बड़ी चुनौती बनती जा रही हैं। विभाग के अधिकारियों पर लापरवाही और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं, जिससे राज्य सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

ई-वे बिल प्रणाली ठप, अवैध माल परिवहन चरम पर : राज्य में ई-वे बिल प्रणाली का काम ठप पड़ा हुआ है। आरोप है कि प्रदेश में बिना बिल के माल परिवहन हो रहा है, जिससे राजस्व को सीधा नुकसान हो रहा है। विशेषकर लोहे की गाड़ियां बिना किसी वैध दस्तावेज के प्रदेश से मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों तक पहुंचाई जा रही हैं। इसके बावजूद जीएसटी विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

गुटका तस्करी पर कार्रवाई में ढिलाई : सूत्रों के मुताबिक, जीएसटी कमिश्नर ने गुटका की अवैध ढुलाई पर जांच टीम को कार्रवाई करने से मना किया है। यह स्थिति गंभीर सवाल खड़े करती है। आखिर क्यों सरकार को मिलने वाला राजस्व इन अवैध गतिविधियों के कारण लगातार घट रहा है?

भ्रष्टाचार के आरोप, कमिश्नर की भूमिका संदिग्ध : जीएसटी कमिश्नर और स्पेशल कमिश्नर की जोड़ी पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि ये अधिकारी अवैध कार्यों को अनदेखा कर अपनी जेब भरने में व्यस्त हैं। इससे पहले भी कमिश्नर की कार्यशैली पर सवाल उठ चुके हैं, जब वे पूर्ववर्ती सरकार के दौरान दुर्ग जिले के कलेक्टर थे। उस समय भी करोड़ों रुपये के घोटाले की चर्चा हुई थी।

मंत्री और सरकार की भूमिका पर सवाल : स्टेट जीएसटी विभाग के मंत्री द्वारा बड़े-बड़े बयान तो दिए जा रहे हैं, लेकिन विभाग की लचर स्थिति उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रही है। सरकार की सुशासन की छवि इस मामले से धूमिल हो रही है।

क्या हो सकता है समाधान?

  • स्वतंत्र जांच आयोग का गठन: विभाग में चल रही अनियमितताओं की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
  • अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई: दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों पर कड़े दंडात्मक कदम उठाए जाएं।
  • तकनीकी सुदृढ़ीकरण: ई-वे बिल प्रणाली और माल परिवहन की निगरानी के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाए।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही: विभागीय कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही तय की जाए।


जनता और व्यापारियों में रोष : राज्य की जनता और व्यापारियों के बीच इन घटनाओं को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द इस मामले पर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि राजस्व की हानि को रोका जा सके और प्रशासनिक व्यवस्था पर जनता का भरोसा कायम रहे।

साय सरकार के लिए यह मामला सुशासन के दावे पर गंभीर चुनौती पेश करता है। यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह न केवल राजस्व के लिए बल्कि सरकार की साख के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकता है।

Back to top button
error: Content is protected !!