रायपुर

रायपुर में B.Ed सहायक शिक्षकों का पुलिस हिरासत में लेना: प्रदर्शन और विवाद…

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में B.Ed सहायक शिक्षकों का विरोध प्रदर्शन रविवार को गंभीर मोड़ पर पहुंच गया, जब पुलिस ने उन्हें सड़क पर प्रदर्शन करते हुए हिरासत में लिया और सख्ती से सड़क से हटाया। इस दौरान कुछ महिला शिक्षिकाएं बेहोश भी हो गईं, और उन्होंने पुलिस पर कपड़े फाड़ने और बैड टच करने का आरोप लगाया।

‎यह घटना उस समय हुई, जब पिछले महीने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सहायक शिक्षक पद के लिए केवल D.Ed डिग्री धारकों को ही योग्य ठहराया और B.Ed डिग्री धारकों की नियुक्ति को रद्द कर दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि 10 दिसंबर 2024 तक D.Ed डिग्री धारकों को सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त किया जाए। इसके बाद 2897 B.Ed डिग्री वाले शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडराने लगा, जिससे शिक्षक समुदाय में असंतोष फैल गया।

शिक्षकों की समायोजन की मांग :
‎सहायक शिक्षक पद से बर्खास्तगी का विरोध करते हुए B.Ed डिग्री वाले शिक्षक अब समायोजन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे वर्षों से शिक्षा प्रणाली में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और अब अचानक उन्हें बर्खास्त किया जाना नाइंसाफी है। इस विरोध को लेकर शिक्षकों ने कई सांकेतिक प्रदर्शन किए, जिसमें जल सत्याग्रह, सामूहिक मुंडन और तेलीबांदा तालाब की सफाई जैसे कदम उठाए गए।

पुलिस की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया :
‎रायपुर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटाने के लिए सख्त कार्रवाई की। पुलिस अधीक्षक अजय कुमार यादव ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को कई बार रास्ता खाली करने की चेतावनी दी गई थी, लेकिन उन्होंने जाम हटाने से इनकार कर दिया। इसके बाद SDM के आदेश पर उन्हें पुलिस द्वारा हटाया गया ताकि रास्ता साफ हो सके।

पूर्व मुख्यमंत्री का सरकार पर हमला :
‎इस घटना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीखा हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘गारंटी’ और मुख्यमंत्री विष्णु देव के ‘सुशासन’ के तहत हुई घोर नाइंसाफी करार दिया। उन्होंने इसे छत्तीसगढ़ के इतिहास में काले अध्याय के रूप में दर्ज किए जाने की बात कही।

शिक्षकों के परिवारों का आक्रोश :
‎विरोध प्रदर्शन में शामिल शिक्षकों के परिजनों का कहना है कि उनके बच्चे और रिश्तेदार केवल अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं, लेकिन पुलिस उन्हें जानवरों की तरह घसीटकर सड़क से हटा रही है। एक शिक्षक के परिजन ने कहा, “हम कोई चोर, लुटेरे या नक्सली नहीं हैं, हम शिक्षक के माता-पिता हैं। हम अपने बच्चों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।”

‎B.Ed सहायक शिक्षकों का यह विरोध प्रदर्शन न केवल उनके लिए बल्कि समूचे शिक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। सरकार से समायोजन की मांग करने वाले शिक्षकों का यह संघर्ष इस बात को उजागर करता है कि शिक्षा क्षेत्र में नीति बदलावों से प्रभावित होने वाले शिक्षकों के अधिकारों को लेकर विवाद बढ़ सकता है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और गहरी चर्चा होने की संभावना है।

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