राजहरा के श्रमिकों को 5 रुपए वाले दाल भात केंद्र से वंचित रखने पर उठे सवाल, बालोद में लागू हुई योजना
फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। बालोद जिले की खनिज नगरी दल्ली राजहरा में जहां मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ते हुए “मसीहा शंकर गुहा नियोगी” शहीद हुए, वहीं आज शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना के तहत 5 रुपए में भरपेट भोजन की योजना का लाभ वर्तमान में दल्ली राजहरा के श्रमिकों को नहीं मिल रहा है। यह योजना जिले के बालोद में तो लागू हो गई है, लेकिन दल्ली राजहरा के श्रमिकों को इस योजना से वंचित रखा गया है।
शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना : मजदूरों के लिए राहत की योजना
शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना को छत्तीसगढ़ सरकार ने उन मजदूरों के लिए लागू की है, जो भीषण महंगाई के दौर में अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए अथक श्रम कर रहे हैं। इस योजना के तहत 5 रुपए में भरपेट भोजन उपलब्ध कराए जाने का लक्ष्य था, ताकि गरीब श्रमिकों को कम से कम भोजन की समस्या से निजात मिल सके।
हालांकि इस योजना की शुरुआत बालोद के बुधवारी बाजार से की गई है, जहां श्रमिकों को 5 रुपए में भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन सबसे बड़ी दुखद बात यह है कि दल्ली राजहरा, जो खनिज नगरी और श्रमिकों की नगरी मानी जाती है, वहां के श्रमिकों को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
दल्ली राजहरा के श्रमिकों को क्यों वंचित रखा गया?
दल्ली राजहरा में बड़ी संख्या में मजदूर काम करते हैं, जिनकी दैनिक मेहनत और श्रम के बावजूद उनके परिवारों के लिए भोजन की समस्या बनी रहती है। यहां के श्रमिकों को महंगाई और कम वेतन की समस्या से जूझना पड़ता है, और ऐसे में उन्हें 5 रुपए में भरपेट भोजन मिलने की योजना एक बड़ी राहत हो सकती थी।
लेकिन यह सवाल उठता है कि क्यों दल्ली राजहरा के श्रमिकों को इस योजना से वंचित रखा गया? क्या यह गैर-बराबरी और भेदभाव का मामला है? बालोद में लागू हो चुकी योजना में दल्ली राजहरा के श्रमिकों को क्यों नहीं शामिल किया गया?
जिला श्रम विभाग के प्रभारी का बयान
इस संदर्भ में, जिला श्रम विभाग के प्रभारी विलास कुमार ने बताया कि शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना* के तहत 5 रुपए में भरपेट भोजन की योजना की शुरुआत बालोद के बुधवारी बाजार से की गई है और इस योजना को पूरे जिले के सभी विकासखंडों और प्रमुख शहरों में लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा, “इस योजना का विस्तार धीरे-धीरे जिले के अन्य हिस्सों में किया जाएगा। फिलहाल, बालोद में यह योजना शुरू की गई है, और जल्द ही दल्ली राजहरा सहित जिले के अन्य क्षेत्रों में भी इसे लागू किया जाएगा।”
श्रमिकों की स्थिति : महंगाई में दुश्वारियां बढ़ी
दल्ली राजहरा में श्रमिकों की स्थिति बेहद कठिन है। यहां के श्रमिकों को खनिज उद्योगों में काम करने के बाद भी भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है। महंगाई के चलते, श्रमिकों के लिए अपने परिवार का पेट भरना और भी कठिन हो गया है। ऐसे में शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना जैसे कदम श्रमिकों के लिए किसी देवदूत से कम नहीं हो सकते थे।
दल्ली राजहरा के श्रमिकों का कहना है कि “हमें इस योजना का लाभ मिलना चाहिए था, क्योंकि हम भी रोज़ी-रोटी के लिए कठिन परिश्रम करते हैं। अब जब योजना शुरू हो चुकी है, तो हमें भी इसका लाभ मिलना चाहिए।”
क्या दल्ली राजहरा के श्रमिकों को मिलेगा न्याय?
शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो श्रमिक वर्ग के कल्याण के लिए उठाया गया है। लेकिन यह सवाल उठता है कि जब योजना बालोद में लागू हो सकती है तो दल्ली राजहरा में क्यों नहीं? क्या यह भेदभाव का मामला है? क्या प्रशासन की लापरवाही और प्राथमिकता की कमी के कारण दल्ली राजहरा के श्रमिकों को वंचित रखा गया है?
अब यह देखना होगा कि प्रशासन द्वारा इस मामले में जल्द से जल्द कदम उठाए जाते हैं या नहीं, ताकि दल्ली राजहरा के श्रमिकों को भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके और उनकी जीविका और भोजन की समस्या का समाधान हो सके। मजदूरों के अधिकारों के लिए शहीद शंकर गुहा नियोगी जैसे नेताओं की शहादत का सम्मान करते हुए, यह आवश्यक है कि श्रमिकों के लिए योजनाओं का सही तरीके से कार्यान्वयन किया जाए, ताकि वे शासन द्वारा संचालित मूलभूत सुविधाओं से वंचित न रहें।