लैलूंगा नगर पंचायत चुनाव 2025: राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़, तीसरे मोर्चे की संभावना और अंदरूनी दावेदारी से हो सकता है बड़ा खेला?…
रायगढ़। नगर पंचायत चुनाव लैलूंगा 2025 के लिए राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं, और प्रमुख दलों के बीच चुनावी मुकाबला बेहद कड़ा होने की संभावना है। जहाँ एक ओर कांग्रेस और भाजपा जैसे स्थापित दल अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं तीसरे मोर्चे की संभावना भी बढ़ रही है, जो चुनाव के परिणामों को प्रभावित कर सकती है।
कांग्रेस की स्थिति : कांग्रेस, जो पिछले तीन चुनावों में लैलूंगा नगर पंचायत में प्रमुख दल रही है, इस बार चुनौतियों का सामना कर रही है। पार्टी के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और संगठन से असंतोष के चलते कई पार्षद इस बार चुनाव में भाग लेने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसके अलावा, विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस के लिए स्थानीय स्तर पर नेतृत्व की समस्या और भी गंभीर हो गई है। इससे पार्टी के सामने अपने पारंपरिक समर्थकों को बनाए रखने और अंदरूनी टूट को रोकने की चुनौती है।
हालाँकि कांग्रेस के पास एक मजबूत इतिहास और संसाधन हैं, लेकिन संगठन में घमासान और पार्टी की एकता की कमी चुनावी रणनीतियों पर असर डाल सकती है। पार्टी को अब अपने उम्मीदवारों के चयन में सावधानी बरतनी होगी, ताकि विरोधियों से मुकाबला किया जा सके। इस समय कांग्रेस के पास ऐसे नेताओं की कमी है जो पार्टी के लिए पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हों।
भाजपा की तैयारी : भा.ज.पा. ने नगर पंचायत चुनाव के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है और पार्टी की सक्रियता साफ दिखाई दे रही है। भाजपा ने नगर पंचायत चुनाव के लिए नगर पालिका और नगर पंचायत प्रभारियों की सूची जारी कर दी है, जिससे यह साफ होता है कि पार्टी चुनावी रणनीति के तहत सक्रिय रूप से मैदान में है। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि इस चुनाव में उन्हें अपनी शक्ति को साबित करने का मौका मिलेगा।
पार्टी के भीतर कई प्रमुख नेता नगर पंचायत अध्यक्ष पद की दावेदारी पेश कर सकते हैं, और भाजपा में अंदरूनी प्रतिस्पर्धा भी देखने को मिल सकती है। भाजपा के समर्थक वर्ग में उत्साह है, लेकिन पार्टी को कांग्रेस और तीसरे मोर्चे से चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
तीसरे मोर्चे की संभावना : लैलूंगा नगर पंचायत चुनाव में तीसरे मोर्चे की संभावना ने भी राजनीतिक समीकरण को उलझा दिया है। सूत्रों के अनुसार, कुछ पार्षद आम आदमी पार्टी (AAP) और अन्य छोटे दलों के संपर्क में हैं, जिससे तीसरे मोर्चे के अस्तित्व का सवाल खड़ा हो गया है। यदि यह मोर्चा चुनावी मैदान में उतरता है, तो यह कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है, क्योंकि यह अन्य प्रमुख दलों के लिए विभाजन का कारण बन सकता है।
तीसरे मोर्चे का समर्थन बढ़ने से चुनावी समीकरण बदल सकते हैं, और यह संभावना है कि कांग्रेस और भाजपा को उनके अपने-अपने वोट बैंक में सेंध लग सकती है। आम आदमी पार्टी या अन्य छोटे दल अपनी लोकप्रियता और क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर चुनाव में सक्रिय हो सकते हैं, जो मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं।
कुल मिलाकर, लैलूंगा नगर पंचायत चुनाव 2025 में कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। विभिन्न राजनीतिक दल अपनी पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, और यह देखा जाएगा कि कौन अपने चुनावी अभियान को प्रभावी तरीके से चला पाता है। इस चुनावी घमासान में यह तय होगा कि लैलूंगा नगर पंचायत में किस दल का दबदबा कायम रहता है, और कौन सा दल सत्ता की कुर्सी पर काबिज होता है।