रायपुर : शिक्षकों की नौकरी का यह मामला केवल उनके भविष्य पर सवाल नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ सरकार की नीतियों की गंभीरता का भी परीक्षण?…
रायपुर। प्रदेश के 2897 सहायक शिक्षकों की सेवा बीते दिनों समाप्त होने के बाद से सहायक शिक्षक लगातार आंदोलन कर रहे हैं। शिक्षक हाथों में विरोध की तख्तियां लेकर सरकार से समायोजन की अपील करते हुए नारेबाजी कर रहे हैं। गुरुवार को शिक्षकों ने राजधानी रायपुर में इकट्ठा होकर धरना प्रदर्शन किया।
“नौकरी नहीं तो इच्छा मृत्यु दो” : सहायक शिक्षकों ने आज प्रदर्शन करते हुए कहा कि सरकार नौकरी दे नहीं तो इत्छा मृत्यु दे. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मांगें जबतक नहीं मानी जाती तबतक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।प्रदर्शनकारी सहायक शिक्षकों का कहना है कि वे कई महीने से नौकरी करते आ रहे हैं और सरकार ने एक ही झटके में उन्हें नौकरी से निकाल दिया। बर्खास्त किए जाने के बाद उनका परिवार कैसे चलेगा।
शिक्षकों की सेवा समाप्ति के बाद अब शासन ने उनके समायोजन की संभावनाओं पर विचार करना शुरू कर दिया है। बुधवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जो हाईकोर्ट के आदेश के बाद हटाए गए शिक्षकों के समायोजन या अन्य संभावनाओं पर विचार कर शासन को अपनी रिपोर्ट सौपेगी।
छत्तीसगढ़ क्रांति सेना का समर्थन : सहायक शिक्षकों के प्रदर्शन को छत्तीसगढ़ क्रांति सेना ने भी अपना समर्थन दिया है. छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के संरक्षक राम गुलाम सिंह ठाकुर का कहना है कि स्थानीय युवाओं की नौकरी छीनकर क्या बाहरी लोगों को सरकार यहां बैठाना चाहती है। छत्तीसगढ़ क्रांति सेना ने कहा कि हम उनके साथ खड़े हैं, कानून लड़ाई भी लड़नी पड़ेगी तो हम तैयार हैं। रामगुलाम ने नगरी निकाय चुनाव पर भी सरकार के इस कदम का असर पड़ने की बात कही।
सहायक शिक्षकों की सेवा समाप्ति के बाद, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वर्तमान सरकार को घेरते हुए तीखे आरोप लगाए।
बघेल ने कहा, “प्रदेश के 2897 बच्चों को मिली हुई नौकरी विष्णु देव साय सरकार ने छीन ली। नए साल पर उन्होंने राज्य के बच्चों का भविष्य अंधकार में कर दिया। यह देश में पहली सरकार है, जिसने मिली हुई नौकरी बच्चों से छीनने का काम किया है। यह लोग यह आरोप लगा रहे हैं कि यह भर्ती कांग्रेस के समय की है। हां हमने यह भर्ती शुरू की थी, कुछ लोग न्यायालय गए थे, तो हमने कहा था कि न्यायालय का जो आदेश होगा, उसे सभी मानेंगे। जब भाजपा की सरकार आई तो उन्होंने दो किस्तों में भर्ती की। दो किस्त मेरे शासनकाल में भर्ती हुई और दो किस्त सीएम साय के शासनकाल में भर्ती हुई।” भूपेश बघेल ने आगे कहा कि इनमें से 70 प्रतिशत शिक्षक आदिवासी समुदाय से हैं और मुख्यमंत्री आदिवासी वर्ग से आते हैं, लेकिन इस सरकार ने इन आदिवासी बच्चों के भविष्य को अंधकार में डाल दिया। वे अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और इस मामले को फिर से देखें।
सरकार गठन करेगी हाई पावर कमेटी : शिक्षकों के भविष्य को लेकर सरकार ने मामले को हाई पावर कमेटी के सुपुर्द करने की योजना बनाई है। कमेटी सभी पहलुओं पर विचार कर शिक्षकों के हित में निर्णय लेगी। दरअसल, 2897 सहायक शिक्षकों की नौकरी का यह मामला केवल उनके भविष्य का सवाल नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ सरकार की नीतियों की गंभीरता का भी परीक्षण है।
अब देखना ये होगा कि शिक्षकों का आंदोलन और सरकार की पहल आने वाले समय में इस मुद्दे का क्या समाधान कर पाती हैं।