बालोद

“नगर पालिका परिषद की लापरवाही से शहर में गंदगी और बदबू, अध्यक्ष की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल”

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। छत्तीसगढ़ राज्य के एक प्रमुख शहर दल्ली राजहरा में नगर पालिका परिषद की लापरवाही के कारण सड़क पर बहता पानी, कचरा बिखरा पड़ा और चारों ओर गंदगी और बदबू फैल गई है। शहर के विभिन्न इलाकों में यह समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जबकि नगर पालिका अध्यक्ष के अध्यक्षीय कार्यकाल के पूरे पांच साल बीत चुके हैं।

शहरवासियों का कहना है कि पिछले पांच सालों में नगर पालिका अध्यक्ष ने कभी भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया और शहर की साफ-सफाई और सड़क निर्माण में गंभीर लापरवाही बरती है। इसके परिणामस्वरूप, शहर में जगह-जगह सड़क पर पानी बह रहा है, कचरा बिखरा पड़ा है, नलों में पानी नहीं आ रहा है, कही नल की टोटी टूटी हुई है, ज्यादातर सुलभ शौचालयों में गंदगी व्याप्त है और कई स्थानों पर गंदगी और बदबू का सामना करना पड़ रहा है। शहर के मुख्य स्थान दल्ली राजहरा बस स्टैण्ड में ही सड़क पर पानी बह रहा है। जहां बाहर से आने वाले लोगों को शहर में व्याप्त भ्रष्टाचार का नजारा सामने ही दिखाई दे रहा है वही अंदर की बस्तियों का क्या हाल होगा।

आगामी चुनाव में विरोधी दल के लिए बड़ा मुद्दा है अध्यक्षीय कार्यकाल की विफलता। दल्ली राजहरा नगर पालिका अध्यक्ष शिबू नायर के कार्यकाल में, कई निर्माण कार्य अधूरे पड़े हैं, जैसे कि भवनों का निर्माण, उद्यानों के झूले टूटे हुए हैं, टूटी हुई कुर्सियां और नगर पालिका द्वारा निर्धारित योजनाओं का पालन नहीं किया गया है। अध्यक्ष की लापरवाही और कार्य प्रणाली में अव्यवस्था के कारण शहरवासियों को लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

नगर पालिका अध्यक्ष के पास नगर पालिका में वित्तीय लेन-देन का अधिकार था। इसके बावजूद, यह सवाल उठता है कि अध्यक्ष ने निधियों का सदुपयोग क्यों नहीं किया और नगर पालिका के वित्तीय संसाधनों का उपयोग शहर की सफाई और विकास के लिए क्यों नहीं किया गया। शासन के फंड का जानबूझकर दुरुपयोग किया गया। शहर जहां बीएसपी की कालोनियां और सेक्टर है वहां पहले से ही बीएसपी की बनाई डामर की सड़के पहले से मौजूद है जिसके बावजूद डामर की सड़कों के दोनों ओर बेफालतू में सीसी रोड बनाकर शासकीय पैसे का भीषण दुरुपयोग किया गया है जिसमें नगर पालिका मुख्य कार्यपालन अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध है। दल्ली राजहरा में नगर पालिका की निधि (फंड) का उपयोग स्वच्छता, सड़क निर्माण, पार्कों की मरम्मत और अन्य विकास कार्यों के लिए किया जाना था, लेकिन इन कार्यों में कोई सुधार नहीं हुआ। इसके परिणामस्वरूप नगर पालिका निधि का दुरुपयोग और जनता के पैसे का अपव्यय हुआ है।

पूरे पांच वर्षों में कानूनी और प्रशासनिक कार्यवाही की आवश्यकता नहीं समझी गई। क्योंकि पहले नगर पालिका अध्यक्ष शिबू नायर की पार्टी कांग्रेस का छत्तीसगढ़ राज्य में शासन था। वहीं नगर पालिका अध्यक्ष शिबू नायर द्वारा उस समय के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपना करीबी बताया करते थे। आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य में नगर पालिका अधिनियम, 1961 के तहत, नगर पालिका अध्यक्ष की जिम्मेदारी है कि वह नगर पालिका के वित्तीय संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करें और सार्वजनिक हित में काम करें। इसके बावजूद, अध्यक्ष की लापरवाही और अव्यवस्था ने नागरिकों की समस्याओं को बढ़ाया है। यदि नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा निधियों का दुरुपयोग किया गया है या वित्तीय अनियमितताएँ पाई जाती हैं, तो उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 409 (आपसी विश्वास का उल्लंघन और भ्रष्टाचार) के तहत कार्यवाही की जा सकती है। धारा 409 (आईपीसी) – भ्रष्टाचार और विश्वासघात इसके तहत, अध्यक्ष पर आपराधिक मुकदमा और जुर्माना लग सकता है।

आपको बता दें कि धारा 13 (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) को देखते हुए। यदि नगरपालिका अध्यक्ष ने भ्रष्टाचार किया है या निधियों का गलत तरीके से उपयोग किया है, तो भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम के तहत भी उन पर कार्रवाई हो सकती है। यह अधिनियम भ्रष्टाचार से संबंधित अपराधों पर सजा और जुर्माने का प्रावधान करता है।

आपको बता दें कि राज्य में कांग्रेस के कार्यकाल में तो किसी प्रकार की जांच तथा कार्यवाही नहीं हुई किन्तु वर्तमान भाजपा सरकार में भी दल्ली राजहरा नगर पालिका के भीतर प्रशासनिक जांच नहीं की जा रही है। यह भी अपनी तरह का अलग मामला है। वहीं शहर में चर्चा है कि दल्ली राजहरा में भाजपा कांग्रेस भाई भाई है जहां नेता शाम ढलते ही साथ बैठ जाम छलकाते है और कैसे शासकीय फंड का बंदरबांट किया जाए फार्मूला निकालते है। मतलब यहां पिछले कई सालों से मिली जूली सरकार चल रही थी। यहां भाजपा आजतक सत्ता में आई ही नहीं। आपसी रजामंदी के तहत चुनाव से पहले ही तय कर लिया जाता है कि चुनाव में किसे कम मेहनत करना है जिससे मनपसंद विरोधी दल चुनाव जीत सके।

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की भाजपा सरकार के गठन के बाद नगर पालिका के विभागीय अधिकारियों को नगर पालिका अध्यक्ष के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करनी चाहिए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि नगर पालिका निधि का दुरुपयोग हुआ है या नहीं। जांच में यह भी देखा जा सकता है कि अध्यक्ष ने शहर की सफाई और विकास कार्यों में लापरवाही बरती है या नहीं। नगर पालिका अध्यक्ष शिबू नायर के खिलाफ जनता का गुस्सा भी प्रशासनिक कार्यवाही के लिए एक बड़ा दबाव बना सकता है। शहरवासियों द्वारा लगातार साफ-सफाई और विकास के लिए आवाज उठाना और मीडिया में इस मुद्दे का प्रसार भी अधिकारियों को कार्यवाही करने के लिए मजबूर कर सकता है।

कुल मिलाकर नगर पालिका अध्यक्ष शिबू नायर के पांच सालों के कार्यकाल में शहर के नागरिकों को सफाई और विकास की समस्याओं का सामना करना पड़ा है। अध्यक्ष द्वारा निधियों का दुरुपयोग, निर्माण कार्यों में लापरवाही, और गंदगी के कारण नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। इस मामले में कानूनी कार्यवाही, विभागीय जांच, और जनता का दबाव आवश्यक है ताकि नगर पालिका के अधिकारियों को उनके कर्तव्यों का पालन करने के लिए मजबूर किया जा सके और दल्ली राजहरा के शहरवासियों को राहत मिल सके। सार्वजनिक संपत्ति और संसाधनों के दुरुपयोग के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही से बचा जा सके और नगर पालिका की जिम्मेदारी सही तरीके से निभाई जा सके। (फोटो साभार – नितिन राम)

Feroz Ahmed Khan

संभाग प्रभारी : दुर्ग
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