बालोद

विवाद : सदर और सेकेट्री द्वारा मामले को सुलझाने के बजाय टरकाया जा रहा

जमात को नमाज की दावत को हराम कहना गलत

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। जिले के दल्ली राजहरा में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है जिसमें राजहरा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष और सचिव द्वारा मामले को सुलझाने के बजाय तूल पकड़ाकर बड़ा किया जा रहा है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में सामने नगरीय निकाय चुनाव है जहां चुनावों में मुस्लिम समाज के वोटो का भी अहम रोल होता है। साथ ही छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड द्वारा अलग से मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष (सदर) पद के लिए भी चुनाव किया जाना है। इन्हीं सब मामलों को लेकर राजहरा मस्जिद कमेटी द्वारा नया नया बवाल खड़ा किया जा रहा है। जिसमें पिछली बार के प्रतिद्वंदी रहे निजामुद्दीन (फौजी) को बदनाम करने के लिए इस तरह की नौटंकी कर तमाशा बरपाया जा रहा है।

आपको बता दें कि दल्ली राजहरा निवासी निजामुद्दीन (फौजी) ने दिनांक 01 अक्तूबर 2024 शुक्रवार के दिन मस्जिद के अंदर जमात के सामने, नमाज की दावत दी थी। लेकिन मस्जिद के इमाम साहब ने मिम्बर ए रसूल से निजामुद्दीन (फौजी) की नमाज की दावत को हराम करार दिया। जिसके बाद उन्होंने नमाज ए ईशा के बाद मस्जिद के इमाम से इस मामले के संबंध में बात करनी चाही तो उन्होंने सीसीटीवी कैमरे के दायरे में ही आकर इस मामले पर बात करेंगे कहा।

निजामुद्दीन (फौजी) ने दिनांक 08 नवंबर 2024 शुक्रवार को मस्जिद कमेटी से लिखित निवेदन है कि उनके द्वारा इन दो बातों को लेकर है जिसमें उन्होंने जमात को नमाज की दावत दी है जो हराम कैसे हो सकती है और दूसरी बात इस बाबत मैने इमाम साहब से बात करनी चाही तो उन्होंने सीसीटीवी कैमरे के दायरे में ही आकर इस मामले पर बात करेंगे कहा। इस मामले पर एक मीटिंग रखी जाए और इस मामले को जल्द से जल्द इस्लामिक शरीयत की रौशनी में हल किया जाए।

लेकिन दल्ली राजहरा मस्जिद कमेटी द्वारा इस मामले पर मीटिंग ही नहीं रखी जा रही है। कमेटी के सदर (अध्यक्ष) शेख नय्यूम और सेकेट्री (सचिव) शेख असलम (इंजीनियर) द्वारा बार बार मीटिंग की तारीख देकर टरकाया जा रहा है। मस्जिद कमेटी द्वारा पहली तारीख 18 नवंबर 2024 सोमवार को दी गई थी जिसे निरस्त कर दूसरी तारीख 23 नवंबर 2024 शनिवार को दी गई थी। लेकिन दूसरी बार भी कमेटी के सदर और सेकेट्री द्वारा मीटिंग निरस्त कर दी गई।

वहीं मिलिट्री से रिटायर निजामुद्दीन (फौजी) ने बताया कि मस्जिद में इमाम की बातों से मुझको दिल में भारी आघात पहुंचा है जिसकी वजह से उन्होंने राजहरा मस्जिद कमेटी से इस मामले को सुलझाने के लिए निवेदन किया था। लेकिन जामा मस्जिद कमेटी, दल्ली राजहरा के सदर और सेकेट्री द्वारा मामले को सुलझाने व निराकरण करने के बजाय बार बार मामले को टरकाया जा रहा है। इसमें फरियादी को मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं राजहरा मुस्लिम जमात हैरान है कि फैसले को बार बार टाला क्यों जा रहा है।

Feroz Ahmed Khan

संभाग प्रभारी : दुर्ग

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