पुसौर : माध्यमिक शाला मिडमिडा में संविधान दिवस पर किया क्या संविधान प्रस्तावना का वाचन…
◆ शिक्षकों ने छात्र-छात्राओं को संविधान दिवस के बारे में दी विस्तृत जानकारी…
रायगढ़। जिले के पुसौर विकास खंड के माध्यमिक विद्यालय मिडमिडा में सुबह प्रार्थना सभा में भारत के संविधान की प्रस्तावना को पढ़कर सुनाया व संविधान दिवस का शपथ लिया गया जिसमें संकुल समन्वयक प्रह्लाद पटेल, प्रधान पाठक भूपेश पंडा, कमलेश पटेल और श्रीमती शकुंतला कुसुम द्वारा संविधान की उद्देशिका और महत्व को विस्तार से बताया जिसमे स्कूल के सभी छात्र-छात्राएं सम्मिलित रहे।
विद्यालय के शिक्षकों ने समस्त छात्र-छात्राओं को संविधान दिवस के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि :
कब हुई संविधान दिवस मनाने की शुरुआत? : भारत में संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 1949 में इसी दिन हमारे देश ने अपना संविधान अपनाया था। डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर, 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस मनाने की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
संविधान दिवस क्यों है महत्वपूर्ण? : संविधान दिवस सिर्फ एक दिन नहीं है, बल्कि हमारे देश के सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज यानी संविधान को याद करने का दिन है। इस दस्तावेज को बनाने में डॉ. भीमराव आंबेडकर जैसे महान लोगों का बहुत बड़ा योगदान था। उन्होंने ही हमारे देश के पहले कानून मंत्री के रूप में काम किया था। संविधान हमें बताता है कि हमारी सरकार कैसे चलेगी, हमारे पास क्या अधिकार हैं और हमें क्या करना चाहिए। यह हमारे देश को एक लोकतांत्रिक देश बनाता है, जहां सभी लोगों को बराबर का अधिकार होता है।
संविधान बनने के बाद 2 महीनों का इंतजार क्यों? : हम जानते हैं कि भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था, लेकिन इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। इस बीच के दो महीनों में क्या हुआ? इस अवधि का इस्तेमाल संविधान के पाठ को अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करने और आम जनता के बीच इसका प्रचार करने में किया गया। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि संविधान सभा ने संविधान को अंतिम रूप देने में दो साल, ग्यारह महीने और अठारह दिन का समय लगाया। इस दौरान उन्होंने कुल 166 बैठकें कीं। संविधान दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य डॉ. बी.आर. आंबेडकर, जो संविधान सभा के अध्यक्ष थे और देश के पहले कानून मंत्री भी रहे, को श्रद्धांजलि देना है। भारत का संविधान हमारे देश के शासन और नागरिकों के अधिकारों के लिए एक आधारभूत दस्तावेज है। इसमें उन सभी सिद्धांतों और मूल्यों को शामिल किया गया है जिन पर हमारा देश आधारित है।