बिलासपुर

बिलासपुर : सुशासन की सरकार में शिक्षक नेता की धांधलीबाज़ पत्नी को बचाने क्या पूरा विभाग रच रहा षड्यंत्र??…

बिलासपुर। फर्जी नियुक्ति मामले में जांच में दोषी साबित हो गई महिला शिक्षिका चंद्ररेखा शर्मा को बचाने के लिए विभाग के अधिकारी कर्मचारी ऐसा खेल खेल रहे हैं की आप हैरान रह जाएंगे । चंद्ररेखा शर्मा को अपना पक्ष रखने के लिए अंतिम मौका पहले 6 नवंबर को दिया गया था उससे पहले भी एक बार मौका दिया गया था जिसमें वह नहीं पहुंची थी इसके बाद 6 नवंबर को उन्हें अंतिम मौका दिया गया और उसे दो दिन पहले 4 नवंबर को अपरिहार्य कारणों से डीपीआई ने सुनवाई की तारीख बढ़ाकर 20 नवंबर कर दी।

डीपीआई का यह पत्र सोशल मीडिया के सभी ग्रुपों में वायरल होता रहा और वेब पोर्टल और अखबारों में भी खबरें प्रकाशित हुई किंतु विभाग का खेल देखिए की फर्जी नियुक्ति मामले में बर्खास्तगी की ओर पहुंच चुकी महिला शिक्षिका को विकासखंड शिक्षा अधिकारी बिल्हा द्वारा 20 तारीख को ही दोपहर में पत्र तमिल कराया गया जिसका सीधा सा मतलब है कि महिला कर्मचारी को बचाने के लिए वह पत्र सुनवाई के दिन ही उपलब्ध कराया गया ।

सोच कर देखिए कि जो पत्र 15 दिन से सोशल मीडिया में वायरल हो रहा था वह पत्र महिला कर्मचारी को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बिलासपुर की तरफ से तमिल ही नहीं कराया गया और इस प्रकार एक बार फिर अधिकारियों की चालाकी से महिला कर्मचारी को अवसर मिल गया ।यह साफ तौर पर अधिकारी कर्मचारी और दोषी महिला की मिलीभगत को प्रदर्शित करता है ।

4 नवंबर को जारी हुआ पत्र यदि महिला शिक्षिका को 16 दिन बाद मिलता है तो यह विभाग के लिए भी जांच का विषय है कि आखिर कौन है जो यह चाहता ही नहीं की दोषी महिला के ऊपर कारवाई हो । सबसे बड़ी बात यह है की डीपीआई वाले बार-बार हो रही चूक के बावजूद किसी पर कोई कार्रवाई करना ही नहीं चाहते ।

ये वहीं अधिकारी है जो किसी अन्य कर्मचारियों को 1 दिन के अनाधिकृत अनुपस्थिति पर सूली पर लटकाने से नहीं चूकते वही अधिकारी जांच में पूरी तरह दोषी साबित हो चुके महिला कर्मचारी को बचाने में जुटे हुए हैं ।

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