डौंडी में जिला प्रशासन द्वारा जनजातीय गौरव दिवस मनाया गया
कांकेर सांसद भोजराम नाग ने समस्त जनजातीय भाइयों को गौरव दिवस की बधाई दी
फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। जिले के एकमात्र आदिवासी ब्लाक मुख्यालय डौंडी के पुलिस मैदान में जिला प्रशासन द्वारा जनजातीय गौरव दिवस मनाया गया। आदिवासी जनजातीय गौरव दिवस हर वर्ष 15 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन भारत के जनजातीय समुदायों के योगदान, उनकी संस्कृति, परंपराओं और ऐतिहासिक संघर्षों को सम्मानित करने के लिए समर्पित है। यह दिवस विशेष रूप से भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे।
आदिवासी जनजातीय गौरव दिवस हर वर्ष 15 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत के जनजातीय समुदायों के योगदान, उनकी संस्कृति, परंपराओं, और ऐतिहासिक संघर्षों को सम्मानित करने के लिए समर्पित है। यह दिवस विशेष रूप से भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे।
आपको बता दें कि बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के उलीहातु गांव में हुआ था। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ “उलगुलान” (क्रांति) नामक आंदोलन का नेतृत्व किया था। बिरसा मुंडा ने न केवल जनजातीय समाज को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया, बल्कि उन्होंने जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए ब्रिटिशों से लड़ाई लड़ी। वे जनजातीय समुदाय के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक प्रेरणा स्रोत हैं।
भारत की स्वतंत्रता संग्राम और सांस्कृतिक धरोहर में आदिवासी समुदाय का विशेष योगदान है। ये समुदाय पर्यावरण संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और सामुदायिक जीवन के मूल्य को बढ़ावा देने में अग्रणी हैं। आदिवासी समाज की भाषाएँ, कलाएँ, नृत्य और परंपराएँ भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं। इस दिवस का उद्देश्य इन परंपराओं को संरक्षित और प्रोत्साहित करना है।
आदिवासी जनजातीय गौरव दिवस का उद्देश्य यह है कि आदिवासी नायकों और उनके बलिदानों को पहचान देना। आदिवासी समाज के प्रति जागरूकता और सम्मान बढ़ाना। उनके अधिकारों और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए काम करना। जनजातीय संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देना। आदिवासी जनजातीय गौरव दिवस सिर्फ एक आयोजन नहीं है, बल्कि यह जनजातीय समुदाय के योगदान को मुख्यधारा में लाने और उन्हें एक समान अधिकार और सम्मान प्रदान करने का प्रयास है। यह दिन न केवल इतिहास के उन अध्यायों को याद करने का अवसर है, जिन्हें अक्सर भुला दिया जाता है, बल्कि एक ऐसा भविष्य बनाने का वादा भी है जहां हर समुदाय की आवाज समान रूप से सुनी जाए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कांकेर लोकसभा सांसद भोजराज नाग, विशिष्ट अतिथि विधायक अनिला भेड़िया, संगीता सिन्हा, कुंवर सिंह निषाद, विशेष अतिथि सोना देवी देशलहरा, बसंती दुग्गा, पुनीतराम सेन, सोमेश सोरी, रूपेश नायक, जिला पंचायत सीईओ संजय कन्नौजे, डौंडी एसडीएम, तहसीलदार सहित तमाम जनप्रतिनिधि मंचस्थ थे।
सांसद भोजराम नाग ने समस्त जनजातीय भाइयों को गौरव दिवस की बधाई देते हुए जनजातीय समाज की प्राचीन काल से लेकर अब तक की महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला और बिरसा मुंडा, रानी लक्ष्मीबाई एवं इतिहास के तमाम जननायकों के अदम्य साहस व बलिदानों को याद किया। कार्यक्रम को विधायक अनिला भेड़िया, संगीता सिन्हा, कुंवर सिंह निषाद ने भी संबोधित करते हुए आदिवासी समुदायों की आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक उन्नति के लिए योजनाओ को निर्बाध लागू रखकर कार्य करने जिलाधीश से अपील की।
इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कलेक्टर इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल ने कहा कि आदिवासी भाई बहन जिस किसी भी दिशा में कार्य करते है, उन्हें और आगे बढ़ाएंगे और संसाधनों की युक्ति के साथ साथ उनकी स्किल में भी बढ़ोतरी करेंगे ताकि आदिवासी भाई बहन आत्मनिर्भर बन सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि पूरा बालोद जिला प्रशासन आज जनजातीय गौरव दिवस को अपना अंगीकार कर यह खास दिवस मना रहा है।
कार्यक्रम में स्कूल बच्चों ने आदिवासी संस्कृति की मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। वही हस्तकला के स्टाल भी लगाए गए। जिसका निरीक्षण सांसद भोजराज ने करते हुए कारीगरों की तारीफ की और कहा कि आदिवासी जनजातीय का विकास भारत की समग्र प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम को देखने सैकड़ों की संख्या में आदिवासी बच्चे उपस्थित थे। जिन्हें पत्रकार साथियों और बिजली विभाग के कर्मचारियों की ओर से चॉकलेट भेंट की गई जिससे बच्चे चॉकलेट पाकर काफी खुश दिखे।