रायगढ़

धरमजयगढ़ : शासन की बड़ी-बड़ी दावा का पोल खोलता विकास खण्ड का ग्राम पंचायत रूवाफूल…

◆ आजादी के 77 साल बाद भी शासन की योजनाओं के लिए तरस रहा ग्राम पंचायत रूवांफूल के आश्रित मुहल्ला गवारडांड…

◆ शिक्षा के नाम पर एक आंगनबाड़ी तो है पर कई-कई महिनों रहता बंद…

धरमजयगढ़। रायगढ़ जिले के आदिवासी बाहुल्य विकास खण्ड धरमजयगढ़ में कई ऐसे गांव हैं जो जंगलों के बीच पहाड़ों की चोटी पर सुख सुविधाओं को छोड़ नरकीय जीवन जीने को मजबूर हो रहे हैं ग्रामीण। जहां एक तरफ आज के समय में लोग शासन के सारी सुख सुविधाओं का भरपूर लाभ उठा रहे है वही धरमजयगढ़ विकासखण्ड मुख्यालय से लगभग 30-35 किलोमीटर दूर स्थित रुवंाफूल पंचायत का आश्रित ग्राम बताती का महौल्ला गवारडांड जो कि पहाड़ी के ऊपर चोटियों पर बसा है, अब तक शासन की महत्वकांक्षी योजनाओं से अछूता है। जोहार छत्तीसगढ़ की टीम ग्राम पंचायत रूवांफूल के आश्रित मुहल्ला गवारडांड में निवास कर रहे ग्रामीणों को शासन की योजनाओं का लाभ मिल रहा है कि नहीं इसकी खोज खबर लेने ग्राम पंचायत रूवांफूल पहुंचे तब पता चला कि गवारडांड मुहल्ला पहाड़ के चोटी पर बसा है। हमारे रिपोर्टर अपने टीम के साथ बड़े मुश्किल से नदी, नाला एवं उबड़-खाबड़ रास्ते पार करते हुए 4-5 किलोमीटर पैदल चलने के बाद गवारडांड मुहल्ला पहुंचे।

    मूलभूत सुविधा के लिए तरसता ग्रामीण : हम अगर बात करें मूलभूत सुविधा की तो ग्रामीणों को स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी, सड़क की आवश्यकता सबसे पहले होती है, लेकिन ग्राम पंचायत रूवांफूल के आश्रित मुहल्ला गवारडांड वासियों को ना तो स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिल रहा है और न ही पीने के लिए शुद्ध पानी। सड़क के नाम पर तो कुछ भी नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल दूर में होने के कारण गांव के बच्चे पढ़ाई करने नहीं जाते हैं, अब आप सोचिए क्या शिक्षा का अधिकार कानून इस ग्रामीणों के लिए लागू नहीं होता है? आज के समय में भी ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। गवारडांड मुहल्ले में 14 परिवार निवास करते हैं और इन 14 परिवार वालों के लिए शासन द्वारा सौर ऊर्जा की सुविधा दिया गया है। ग्रामीणों के अनुसार मौषम खरब होने से कई-कई दिनों तक सौर ऊर्जा काम नहीं करता है और ग्रामीणों को अंधरे में अपना गुजर बसर करना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में सबसे ज्यादा समस्या होती है नाला में पानी ज्यादा होने से पंचायत से सारा संपर्क टूट जाता है।

    कई-कई महिनों तक बंद रहता आंगनबाड़ी : शासन की ओर से गवारडांड मुहल्ले के छोटे-छोटे बच्चों के लिए आंगनबाड़ी खोला गया है, लेकिन आंगनबाड़ी कई-कई महिनों तक बंद रहता है, ग्रामीणों ने हमारे टीम को बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को मन लगे तो कभी कभार आंगनबाड़ी आ जाते हैं, नहीं तो कई-कई महिनों तक आंगनबाड़ी में ताला बंद रहता है। अब सोचने वाली बात है कि क्या महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारी सिर्फ कुर्सी में बैंठ कर शासन से फोकट का वेतन ले रहे हैं?

    मुहल्लेवासियों को नहीं मिल रहा स्वास्थ्य सुविधा : पहाड़ के चोटी में बसा गवारडांड मुहल्लेवासियों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। गवारडांड के ग्रामीणों को तो यह तक नहीं मालूम कि इनके स्वास्थ्य कार्यकर्ता कौन है? ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में नाला में पानी ज्यादा होने से पंचायत से सारा संपर्क टूट जाता है, और ऐसे समय में कोई अगर बीमार पड़ जाये तो भगवान भरोसे ही जीना पड़ता है, क्योंकि ना तो स्वास्थ्य विभाग के कोई स्वास्थ्य कर्मचारी ईलाज के लिए आते हैं और ना ही बीमार आदमी को हम ईलाज के लिए अस्पताल ले जा सकते हैं क्योंकि नाला में बहुत अधिक पानी भर जाता है जिसे पार करना मुश्किल होता है।

    पीने के लिए नहीं मिलता स्वच्छ पानी : आजादी के 77 साल बाद भी इस मुहल्ले के ग्रामीणों को पीने के लिए स्वच्छ पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं, आज भी इस मुहाल्ले के ग्रामीणों को ढोढ़ी, नाला, पहाड़ का पानी पीकर जीवन जीना पड़ रहा है। बात करें तो हर पंचायत में शासन द्वारा पीने के पानी के लिए लाखों करोड़ों खर्च कर रहे हैं। तो क्या ग्राम पंचायत रूवांफूल में शासन द्वारा राशि उपलब्ध नहीं करवाया गया है या फिर कहा जाये कि इस पंचायत में भी शासन द्वारा विकास के लिए जारि किया गया राशि का खुलकर बंदरबांट किया गया है?

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