बालोद

अंधेर नगरी चौपट राजहरा : शहर में बढ़ा मच्छरों का प्रकोप

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद/राजहरा। बरसात खत्म होने के साथ ही शहर में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। उमस भरी गर्मी के बीच मच्छर के प्रकोप से लोग परेशान है। बदलते मौसम से मच्छरों का प्रकोप बढ़ने लगा है। शाम होते ही मच्छरों का आतंक फैल जा रहा है। इस कारण बीमारियों के फैलने की आशंका बढ़ गई है। इसके अलावा जगह जगह गंदगी भी मच्छरों के पनपने की मुख्य वजह है। राजहरा वासी मच्छरों से बचाव के लिए हर तरह का प्रयोग कर रहे हैं। हालांकि नगरवासियों ने पालिका से फागिग कराने की मांग की हुई है। लेकिन नगर पालिका को कोई फर्क नही पड़ रहा है। वही डेंगू व अन्य बीमारियो के चलते शहर के लोग अस्पताल के दौड़ लगा रहे है।

शाम ढलते ही मच्छरों का आक्रमण बढ़ जाता है। बालोद जिले के दल्ली राजहरा के गली-मोहल्ला से लेकर नया बस स्टैण्ड, पुराना बस स्टैण्ड, गांधी चौक, रेलवे स्टेशन, शहीद अस्पताल, पंडर दल्ली, हॉस्पिटल सेक्टर सहित तमाम जगहों पर मच्छरो का आतंक काफी बढ़ गया है। जबकि इसको लेकर नगर पालिका प्रशासन सुस्त पड़ा हुआ है। दिखावेबाज़ी के लिए कुछ महीने पहले गिनी चुनी जगहों पर फागिंग मशीन से धुंआ बिखराया गया था लेकिन उससे शहर के निर्दयी मच्छरों को कोई फर्क नही पड़ा। बता दें कि पालिका के पास संसाधन का अभाव भी नहीं है। वर्तमान में फॉगिंग मशीन है, इसके बाद भी नगर पालिका राजहरा फॉगिंग को लेकर उदासीन बना हुआ है। कार्यालय की माने तो फॉगिंग को लेकर रूट चार्ट बनाये गये हैं। शहर की साफ-सफाई सहित अन्य कार्यों के निष्पादन के लिए सफाई दरोगा भी तैनात है। लेकिन शहर में चारो ओर गंदगी और बदबू का आलम है। वही नगर पालिका अध्यक्ष को लोगो की समस्या से कोई लेना देना नही है। वर्तमान स्थिति पूर्व के नगर पालिका परिषद के कार्यकाल से भी बुरी है। शहर में साफ-सफाई से लेकर फॉगिंग सहित तमाम कार्य वेंटिलेटर पर चल रहे है।

शहर की गंदगी, नाले का गंदा पानी, जाम नालियों की समस्या है। शहर में नियमित सफाई ना होने की वजह से गंदगी पसरी रहती है। नालियां गंदे पानी से उफनती नजर आती है और वह पानी सड़क पर बहता रहता है। इससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है। मच्छरों को मारने के लिए कीटनाशक दवाओं के छिड़काव को लेकर स्वास्थ्य विभाग व नगर पालिका परिषद ने आंखें बंद कर रखी है। मच्छर की बढ़ती संख्या का आलम है कि रात नहीं, दिन में भी इसका प्रकोप जारी रहता है। वहीं शाम होते ही लोगों का किसी स्थान पर बैठना मुश्किल हो गया है। घर हो या दुकान, हर जगह मच्छरों का आतंक बढ़ गया है। सुबह हो या शाम मच्छरों का हमला शुरू हो जाता है। इसके चलते संक्रमण का खतरा, बीमारी के भय से लोग दिन में भी मच्छरदानी तथा मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती व क्वाईल का इस्तेमाल कर रहे हैं। उधर चिकित्सकों के अनुसार मच्छर मारने वाले अगरबत्ती तथा क्वाईल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। लोगों की मानें तो मच्छरों के बचाव को निजी इंतजाम नहीं किए जाएं तो घंटे दो घंटे भी लोग शांति से बैठ नहीं सकते। लिहाजा लोग घर के कचरे को नाली व आसपास के खाली जगहों में डाल रहे है।

Feroz Ahmed Khan

संभाग प्रभारी : दुर्ग

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