बिलासपुर

बिलासपुर : CIMS में आर्थिक अनियमितता, प्रस्ताव देख ; सकते में स्वास्थ्य मंत्री?…

बिलासपुर। सिम्स में लगातार आर्थिक अनियमितिता के मामले सामने आते रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इन मामलों की जांच नहीं होती। जांच तो होती है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती है। इस तरह एक और मामले का पर्दाफाश हुआ है।

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल सोमवार को सिम्स का निरीक्षण कर बैठक ली। इसमें इस मामले का पता चला। सिम्स की ओर से तीन हजार की बेडशीट, 75 हजार की सीसी टीवी कैमरा खरीदी का प्रस्ताव बनाया था। जब खरीदी प्रस्ताव को स्वास्थ्य मंत्री ने देखा तो वे भी सकते में आ गए। उन्हें भी लगा कि इस तरह की गड़बड़ी कोई कैसे कर सकता है। महज डेढ़ से दौ सौ तक में मिलने वाले बेडशीट को तीन हजार में खरीदने का प्रस्ताव बनाया गया है, यदि इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है और स्वीकृति दे दी जाती तो इसके नाम पर बड़ी आर्थिक गड़बड़ी को अंजाम दे दिया जाता। इसी तरह 75 हजार रुपये में सीसीटीवी कैमरे का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इसे देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने साफ कर दिया कि यहां की सभी गड़बड़ियों को खंगाला जाए, ताकि पुरानी गड़बड़ियों को सामने लाया जा सके।

सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) की व्यवस्था कभी भी पटरी में नहीं आ पाई है। तमाम सुविधाएं होने के बाद भी मरीजों को इलाज के लिए मशक्कत करना पड़ता है। ठीक इसी तरह यहां के अधिकारी, कर्मचारी भी किसी से कम नहीं है, गुटबाजी करना, आर्थिक अनियमितता करना आम बात है, लेकिन इन सब के बाद भी एक भी मामले का आज का पर्दाफाश नहीं हो सका है। सिर्फ जांच तक सीमित रह जाता है। वैसे भी सिम्स में लांड्री घोटाला, 2013-14 में भर्ती में गड़बड़ी, मशीन खरीदी में घोटाला, कबाड़ घोटाला, आयुष्मान भारत से इलाज में घोटाला हो चुका है। इन सभी मामलों में जांच तो बैठाया गया है, लेकिन आज तक इसकी जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई है। इसका मुख्य वजह जो गड़बड़ी करते आए हैं, उनके चेहतों को ही जांच अधिकारी बनाया जाता रहा है। ऐसे में इस तरह के मामले हर बार दबा दिए गए। वहीं अब स्वास्थ्य मंत्री के संज्ञान में लेने के बाद फिर से बरती गई अनियमितता की फाइल खुलने वाली है। वहीं नए डीन रमणेश मूर्ति ने भी साफ किया है कि कई बार यहां गड़बड़ी के मामले सामने आए है। इनकी जांच होगी।

एसआइटी जांच के बाद भी कुछ नहीं हो सका : साल 2013-14 में हुए भर्ती गड़बड़ी की एसआइटी जांच कराई गई थी। टीम ने इसकी रिपोर्ट शासन को सौपी थी। इस रिपोर्ट में गड़बड़ी का पर्दाफाश हो जाने की बात कही गई थी, लेकिन जांच रिपोर्ट को आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। वहीं इस मामले को दबा दिया गया और जो भी गड़बड़ी के माध्यम से नौकरी पाई थी, वे आज नियमित हो चुके हैं। इन्हें भी नियमित पूर्व डीन डा़ केके सिहारे द्वारा किया गया है।

18 लाख की मशीन 59 लाख में खरीदी गई : सिम्स में लांड्री मशीन घोटाला भी हुई है। इसमे यह बात सामने आई कि जिस लांड्री मशीन को 59 लाख रुपये में खरीदा गया है, उसकी वास्तविक कीमत महज 18 लाख रुपये रही। इस मामले को भी जांच के दायरे में लिया गया, लेकिन जांच रिपोर्ट आज तक सामने नहीं आई। इस मामले को भी दबा दिया गया है। इस तरह से अन्य छोटे बड़े घोटाले हुए हैं, सभी को दबा दिया गया ।

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