छत्तीसगढ़

रायपुर : पीएम आवास योजना में गड़बड़ी पर अब सीधे नपेंगे कलेक्टर…

रायपुर। पीएम आवास योजना ग्रामीण के तहत छत्तीसगढ़ के 8 लाख 46 हजार 932 और शहरी आवास योजना के 23 हजार 71 हितग्राहियों के आवास का सपना आज पूरा हो गया। इस योजना की राशि आज हितग्राहियों के खाते में ट्रांसफर की जा रही है।

आपको बता दें कि 6 सितंबर को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जानकारी देते हुए कहा था कि केंद्र सरकार की ओर से पीएम आवास योजना के तहत छत्तीसगढ़ में 8,46,931 आवासों को स्वीकृति दी गई गई है। साय ने बताया था कि उनकी सरकार ने केंद्र से पीएम आवास योजना में नक्सली हिंसा के प्रभावित, पीड़ित और सरेंडर करने वाले पूर्व नक्सलियों के लिए अलग से घर स्विकृत करने की मांग की थी।

दरअसल, राजधानी के इंडोर स्टेडियम में आयोजित मोर आवास, मोर अधिकार कार्यक्रम आयोजित किया गया। दीप प्रज्ज्वलित कर सीएम साय ने इस कार्यक्रम की शुरूआत की। इस अवसर पर सीएम साय ने पीएम आवास योजना के हितग्राहियों का पांव पखार कर स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने पीएम आवास योजना की तकनीकी मार्गदर्शिका का विमोचन किया। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, मंत्री लखन लाल देवांगन, मंत्री दयाल दस बघेल, मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े भी उपस्थित रहे।

सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा आज हमारे छत्तीसगढ़ वासियों, प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी भाई-बहनों के लिए महत्वपूर्ण दिन है। हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री ओडिशा से प्रधानमंत्री आवास योजना की पहली किश्त जारी करेंगे, इसके साथ ही जिनका आवास पूरा हो गया है, उन्हें गृहप्रवेश भी करवाएंगे। आज के ही दिन हमारे आधुनिक भारत के विश्वकर्मा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन है, हम सभी उनके दीर्घायु जीवन की कामना करते हैं। सीएम ने कहा कि पूरे देश में स्वीकृत प्रधानमंत्री आवास का 30 प्रतिशत आवास हमारे छत्तीसगढ़ में स्वीकृत हुआ है, यह बड़ी बात है। हमारे प्रधानमंत्री ने कहा था कि सरकार बनते ही हमारा मुख्यमंत्री आवास से वंचित हितग्राहियों को 18 लाख प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति देंगे। 8 लाख 46 हजार 932 हितग्राहियों को पैसे जारी किए जा चुके हैं, बाकियों को प्रधानमंत्री जी आज पैसे जारी होंगे। वास पूर्ण होने के बाद आज जिनका गृहप्रवेश हो रहा है, उन्हें बहुत बहुत बधाई। प्रधानमंत्री आवास के लिए किसी को भी एक पैसा देने की जरूरत नहीं है, अगर एक रुपए की भी वित्तीय शिकायत आती है तो सीधे कलेक्टरों पर कार्रवाई की जाएगी।

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