रायपुर : मंत्री जी थोड़ा ध्यान दीजिए , कहीं लुटिया न डुबो दें आला अधिकारी GST विभाग की??…
रायपुर । छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती सरकार के कारनामे आज भी नजर आते है । सुशासन की सरकार में जीएसटी विभाग की मनमानी की चर्चा बाजार में आज चर्चाये आम है। करोड़ो के राजस्व सरकार को इसी विभाग से आते है। सरकार के बदलते ही चौधरी जी को यह मंत्रालय मिला। हर दिन छापामार कार्रवाही की शुरुआत की गयी। बड़ी बड़ी बाते विभाग के उच्च अधिकारियो के भी सामने आने लगे, पर वास्तविकता कुछ और ही दिखी। जीएसटी में चल रही भर्राशाही पर रोक लगाने की आवश्यकता है।
इस विभाग के तत्कालीन दो कमिश्नर आज भी जेल की सलाखो के पीछे है। जिसके बाद आये कमिश्नर का ग्राफ विभाग में आते ही काफी विवादों में रहे जिसके कुछ समय बाद सत्ता बदली सरकार बदली मगर इन उच्च अधिकारियों के कामो में कोई बदलाव नही आया!
बीते दिनों इन्ही सब शिकायतों के कारण जीएसटी कमिश्नर रहे रजत बंसल को हटाया गया फिर इनकी जगह पुष्पेंद्र मीणा को इस विभाग की जवाबदेही सौपी गई थी ! जिनके काम करने का तरीका तो और भी कमजोर साबित हुआ ! इनके ऊपर भी काफी पहले 4200 करोड़ के टेंडर घोटाले का आरोप लगा था.चिप्स में जब ये पदस्थ थे उस समय इनको इस विभाग से हटाने की बात सामने आई थी।
दुर्ग कलेक्टर रहते हुये इनकी कोई अच्छी फरफॉर्मेन्स नहीं रही ऐसे अफसर को जीएसटी में बैठालना कहा तक सही है यह तो मंत्री जी ही जाने। जीएसटी में अधिकारी तो बदल गए लेकिन भर्राशाही और मनमानी का आलम जस का तस है । अपनी मनमानी से अटेचमेंट करने का खेल भी लगातार विभाग में चल ही रहा है। जिस रफ्तार से जीएसटी का काम चलना चाहिए वो काम धरातल में नजर नहीं आ रहा।
जीएसटी विभाग में जमकर भर्राशाही चल रही सभी काम ठप्प पड़े है फिर चाहे इवेबिल की बात की जाए या रेवेन्यू की सब ठप है! जीएसटी विभाग एक ऐसा विभाग है जहाँ सरकार का खजाना भरे न भरे जीएसटी विभाग के उच्च अधिकारियों का रेवेन्यू दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है यही नही यह अधिकारी पॉवर के नशे में चूर इतने मसगुल हो चुके है कि व्यापारियों से भी दुर्व्यवहार करने लगे है जिसकी शिकायत आये दिन व्यापारी वर्ग कर रहा है, मगर व्यापारियों की सुध लेने वाला कोई नही है।
मंत्री जी को समय रहते अपने विभाग में कसावट लाने की जरूरत है ऐसे भ्रष्ट आईएएस अफसर से ईमानदारी की अपेक्षा रखना सरासर गलत हो तो भी गिरते ग्राफ पर ध्यान देते हुए कड़ी कार्रवाही करना व आगे बढ़ना विभाग के लिए कहीं न कहीं सार्थक साबित हो सकता है! सुशासन की सरकार में मदमस्त अफसरों को सही करने की आवश्यकता है सबसे अधिक है।