फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद/डौंडी। जिले में हजारों अवैध ईट भट्ठे पर्यावरण को मुंह चिढ़ा रहे है। बालोद खनिज विभाग में जिम्मेदार अपनी बदहाली पर घड़ियाली आंसू बहा रहे है। पूरे जिले में मात्र एक ही खनिज इंस्पेक्टर होने का रोना रोया जाता है। इसलिए जिले में अवैध ईट भट्टा कारोबारी मजे में नाच रहे है। नाम ना छापने की शर्त पर मध्यप्रदेश सतना जिले से आए एक ईट भट्टा कारोबारी ने हमारे संवाददाता को बताया कि हर महीने खनिज विभाग को उनकी तरफ से लिफाफा भेजा जाता है वही इलाके के पटवारी, तहसीलदार व एसडीएम को भी चढ़ौती चढ़ाई जाती है। भ्रष्टाचार के इस खेल में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत साफ नजर आती है। ऐसे में बाहरी प्रदेश से आए ईट भट्ठों के मालिकों की चांदी हो गई है वही वो छत्तीसगढ़िया ग्रामीणों को अपने अवैध ईट भट्ठों में मजदूरी करने रख लेते है। जिसकी बदौलत वे छत्तीसगढ़ के बाहर से आए ईट भट्ठा संचालक अकूत संपत्ति के मालिक बन बैठे है।
वही यह लोग छत्तीसगढ़ के ग्रामीणों को अपने धधकते ईट भट्ठों में मजदूरी करवा रहे है। ईट भट्ठों में सबसे ज्यादा ग्रामीण महिलाओं से काम करवाया जाता है वो भी बिना किसी सुरक्षा के। साफ जाहिर है धधकते ईट भट्ठों से निकलने वाला जहरीला धुंआ और तपतपाती गर्मी से ग्रामीण महिलाओं को बहुत सी भयंकर बीमारी भी घर कर जाती है। मजदूरों को हुई बीमारी के लिए भी अवैध ईट भट्टा संचालक के तरफ से कोई मदद ही नही मिलती। जिसके कारण ग्रामीण महिलाएं और पुरुष इनके ईट भट्ठों में मजदूरी करते करते अकाल मृत्यु में समा जाते है। हो सकता है शायद, जिम्मेदार अधिकारियों को ईट भट्टा संचालकों से मिली चढ़ौतरी रंग बिरंगी पतलून और जांघिया खरीदने के काम आती होगी।
ये अवैध ईट भट्ठे कई विभागों के निशाने में है जिसके नियमो को ये लिफाफा और नजराना पेश कर संबंधित विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को मोह लेते है जिसके बाद ये सरकार की नौकरी बजा रहे अधिकारी कर्मचारी अपनी शपथ तक भूल जाते है जिन्हे नौकरी ज्वाइन करते हुए दिलाई गई थी। अवैध ईट भट्ठों को नकेल कसने वाले कई विभाग जिसमे खनिज विभाग, श्रम विभाग, राजस्व विभाग, पर्यावरण संरक्षण मंडल, वन विभाग, पुलिस विभाग, बिजली विभाग, जल संसाधन विभाग, आदि प्रमुख रूप से शामिल है। इनमे से केवल खनिज विभाग और राजस्व विभाग ही कभी कभार अखबारों में सुर्खियां बटोरने आगे आते है। इस संबंध में हमने कुछ समय पहले छत्तीयगढ़ पर्यवारण संरक्षण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी देवव्रत मिश्रा से बात की तो उन्होंने अवैध ईट भट्ठों पर जल्द ही कार्यवाही करने की बात कही थी। लेकिन वे पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक नही है अथवा भूल गए। वही राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अखबारों में छपी खबर को देखते है और अखबार मोड़कर बाजू रख देते है। वन विभाग का अपना ही रोना है, उनका तकिया कलाम है कि वे केवल जंगल में हो रही अवैध पेड़ कटाई और परिवहन तक सीमित है। बिजली विभाग के जिम्मेदारों से बात करो तो उनके दिमाग की लाइट गोल हो जाती है और इसी वजह से उनके मोबाइल की बैटरी डाउन हो जाती है। जिले के ज्यादातर विभाग के अधिकारी, मामले को “टरकाने” की कला में निपुण भी है।
ये अवैध ईट भट्टा संचालको द्वारा ईट बनाने के लिए मिट्टी का भी जुगाड़ करते है इसका भी स्त्रोत ये किसी को नहीं बताते। ईट भट्ठे में इस्तेमाल होने वाली मिट्टी की भी निगरानी और जिम्मेदारी खनिज विभाग की है। लेकिन क्या कहे इनका वही पुराना रटा रटाया किस्सा कि इनके विभाग में खनिज अधिकारी सिर्फ एक ही है। वही दूसरी ओर ईट बनाने के लिए बहुत ज्यादा मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। अब पानी के लिए भी फिर से सरकार के नियमो की धज्जियां उड़ाई जाती है। हम बताते है की ये अत्यधिक मात्रा में पानी का जुगाड़ कहां से होता है। शासन द्वारा किसानों को खेती के लिए पानी की उपलब्धता हेतु बोर की व्यवस्था दी गई है जिसे ये अवैध ईट भट्टा संचालक अपने कारोबार में व्यवसाय के रूप में प्रयोग कर रहे है। वर्षो पुराने और ताजा मामले में ही राष्ट्रीय राजमार्ग 930 के किनारे ही बालोद जिले के डौंडी तहसील के ग्राम अरमुरकसा में ही रीपा सेंटर के ठीक पीछे की अवैध ईट भट्ठे का खुला कारोबार चल रहा है। ऐसे ही अनेकों ईट भट्ठे जिले में संचालित है जो विश्व की विकराल समस्या प्रदूषण के जिम्मेदार है। अब देखना यह है कि खबर प्रकाशित होने के बाद कितने समय में जिम्मेदार गहरी नींद से जागते है और फर्राटा मारते हुए अरमुरकसा स्थित अवैध ईट भट्ठे पर नियमतः कार्यवाही कर डींग हांकते है।
अवैध ईट भट्टा संचालको से इस संबंध में पूछताछ करो तो ये बात ही नही करते और बात करते भी है तो ये बताते है की सरकार से इन्हे ईट भट्टा कारोबार करने की छूट प्राप्त है जिसे ये बरसो से कर रहे है। दूसरे राज्यों से छत्तीसगढ़ के अंदरूनी इलाकों में आए बाहरी ईट भट्टा कारोबारियो को ईट भट्टा जलाने के लिए अत्यधिक मात्रा में जलाऊ की आवश्यकता होती है। अब यह बड़ा खेल हरे भरे पेड़ो को काटकर किया जाता है। अवैध ईट भट्टा कारोबारियो को लकड़ियां या तो आसपास के किसानों ने मिल जाती है या पास ही स्थित जंगलों को तबाह कर ये अपने ईट भट्ठों को दहकाने चोरी कर ले आते है। अब इस कुकृत्य में जिले का वन विभाग भी शामिल है। आसपास के जंगलों से लगातार हरे भरे पेड़ो को काटकर ट्रेक्टर में लोड कर ईट भट्ठों तक ले आते है वही वन विभाग के सिपाही आंख मूंद लेते है। आखों को मूंद लेने के लिए किसका आदेश है ये नही बताते। बस इनसे पूछो तो उल्टे हमे ही सवाल दाग देते है किसने देखा।