बालोद

वाहनों में प्रेशर हार्न का प्रयोग कर रहे युवा, पुलिस बेखबर

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। वाहनों में प्रेशर हार्न का उपयोग प्रतिबंधित होने के बावजूद जिले के ज्यादातर शहरों की सड़कों पर धड़ल्ले से चार पहिया तथा दो पहिया वाहन चालक इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। वाहन विक्रेता द्वारा वाहन बेचते वक्त सामान्य हार्न लगाकर दिया जाता है। आज के युवा अपने वाहनों में तेज आवाज करने वाले प्रेशर हार्न लगवा रहे हैं। युवक बाइक में मौज मस्ती के चलते प्रेशर हार्न लगवा लेते हैं। जिससे आम नागरिकों और बुजुर्गो को काफी दिक्कत व परेशानी होती है।

ज्ञात हो कि शासन द्वारा शहर में कई ऐसे शासकीय कार्यालयों, न्यायालय, चिकित्सालयों व विद्यालयों के पास साइलेंस जोन घोषित किया जाता है। जहां तेज ध्वनि वाले हार्न का प्रयोग नहीं किया जा सकता। लेकिन नियम कायदों को ताक पर रखकर बालोद जिले खासकर बालोद, दल्ली राजहरा, डौंडीलोहारा व गुरुर के युवा प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रेशर हार्न बजाकर शासन को खुली चुनौती देते हैं। इसके लिए यातायात नियमों की भी अनदेखी की जा रही है। जिससे वहां से गुजरने वाले और स्थानीय लोगों को काफी परेशानी होती है। क्योंकि ये अपने वाहन में लगे प्रेशर हार्न का इतना उपयोग करते हैं कि जब तक उनके वाहन गुजर नहीं जाते तब तक कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता।

बसों में या दूसरे वाहनों में प्रेशर हार्न लगाने व बजाने पर जुर्माने का प्रावधान है। नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ट्रैफिक पुलिस द्वारा किसी भी बस या दूसरे वाहन का प्रेशर हार्न का चालान नहीं किया गया है। बालोद जिले के वकील मनोज खोबरागढ़े ने कहा कि शहर के बीच प्रेशर हार्न बजाने से सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। हमारा कान 30-50 डेसिबल तक सुनने की क्षमता रखता है। इससे अधिक क्षमता के हार्न सीधे-सीधे हमारे दिमाग व कान को प्रभावित कर नुकसान पहुंचाते हैं। सड़क पर पैदल चल रहे बच्चो, महिलाओ, बुजुर्ग और साइकिल सवारों को प्रेशर हार्न की वजह से तेज आवाज के कारण उनके दिल व कान को नुकसान पहुंचता है।

दल्ली राजहरा स्थित ज्योति अस्पताल के डॉक्टर अशोक कुमार ठाकुर की माने तो प्रेशर हार्न के कारण लोगों में चिड़चिड़ापन और बहरेपन की समस्या बढ़ जाती है। रोजाना ऐसी समस्या से मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं। डॉक्टर बताते है कि अधिक डेसिबल से बहरापन व मस्तिष्क से संबंधित बीमारियां भी पैदा होती है। ध्वनि प्रदूषण का सबसे बुरा प्रभाव बच्चो और बुजुर्गो पर पड़ रहा है।

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