बिलासपुर : हॉस्पिटल-बिल्डिंग खंडहर, बना मवेशी-नशेड़ियों का अड्डा ; क्या राजनीति की भेंट चढ़ गई 8 करोड़ की बिल्डिंग??…
बिलासपुर। 8 करोड़ की लागत से बना 100 बिस्तर वाला अस्पताल शुरू होने से पहले ही खंडहर में तब्दील हो गया। 2018 में अस्पताल भवन बनकर तैयार हो गया था। ठेकेदार ने सारी व्यवस्थाएं की थी, जो एक अस्पताल में होनी चाहिए, लेकिन अफसरों की लापरवाही से भवन ध्वस्त हो गया। अब यह नशेड़ी और मवेशियों का अड्डा बन गया है।
दैनिक भास्कर की टीम मौके पर पहुंची, तो वर्षों पुरानी जर्जर बिल्डिंग जैसा नजारा देखने को मिला। चोरों ने लोहे और एल्यूमीनियम के गेट से लेकर खिड़कियां तक चोरी कर ली है। टाइल्स भी उखाड़ कर ले गए हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग के अफसर भवन की जानकारी होने से ही इनकार कर रहे हैं।
दरअसल, जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी थी। लोगों को परेशानियां होती थी। भाजपा शासनकाल में 2014-15 में सर्वसुविधायुक्त 100 बेड वाला अस्पताल बनाने की योजना बनी। इसका मकसद था कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को आपातकालीन स्थिति में यहां भर्ती कराया जा सके।
सीपत में बनाया गया सर्वसुविधायुक्त भवन : शहर से 15 किलोमीटर दूर सीपत में 2015-16 में 100 बेड अस्पताल शुरू करने के लिए टेंडर जारी हुआ था। यहां जगह तय कर ठेकेदार ने निर्माण कार्य शुरू किया। जिसके बाद दो साल के भीतर 2018 में सर्वसुविधायुक्त हॉस्पिटल का निर्माण पूरा हो गया। भवन निर्माण के लिए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) को एजेंसी बनाया गया था। यहां सिम्स में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले डॉक्टरों के लिए ट्रेनिंग सेंटर के साथ ही 100 बेड अस्पताल शुरू होना था।
SGMSC की लापरवाही से खंडहर हुआ भवन : अस्पताल भवन में रीसैप्शन से लेकर ऑपरेशन थिएटर, OPD सहित वार्डों का निर्माण कराया गया। ठेकेदार ने अस्पताल भवन बनाने के बाद मार्बल टाइल्स से लेकर फॉल सीलिंग, बिजली फिटिंग, पंखे सहित हर तरह से फीनिशिंग कर निर्माण कार्य पूरा कर लिया था। भवन को SGMSC को हैंडओवर किया गया था, ताकि भवन की सुरक्षा और देखरेख हो सके।
राजनीति की भेंट चढ़ गई 8 करोड़ की बिल्डिंग : स्थानीय लोग बताते हैं कि 2018 में राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद सर्वसुविधायुक्त अस्पताल को नजरअंदाज कर दिया गया, जिसके कारण 5 साल तक न तो विभाग के अफसरों ने भवन की सुरक्षा का ध्यान दिया और न ही शासन-प्रशासन ने यहां अस्पताल शुरू करने की दिशा में कोई प्रयास किया।नतीजा यह हुआ कि देखरेख व सुरक्षा के अभाव में अस्पताल के मुख्यद्वार पर बने गेट से लेकर हर कमरों के गेट, खिड़कियां और लोहे व एल्युमिनियम का सारा सामान चोरी कर लिया गया है। हैरानी की बात है कि नवनिर्मित भवन खंडहर हो गया, जिसके बाद भी किसी भी जिम्मेदारों ने यहां झांक कर भी नहीं देखा।
मवेशी और नशेड़ियों का बना अड्डा : देखरेख के अभाव में सर्वसुविधायुक्त भवन की हालत शुरू होने से पहले ही अब जर्जर हो चुकी है। यहां मवेशियों के साथ नशेड़ियों का अड्डा बन गया है। मवेशियों के गोबर और शराब की बोतलें जगह-जगह पड़ी हैं। भवन से महज कुछ दूरी पर थाना है, लेकिन पुलिस ने भी कभी यहां से लोहे के सामानों की चोरी पर ध्यान नहीं दिया।
जिला पंचायत के सदस्य और सभापति राहुल सोनवानी ने बताया कि 2018 में भवन बनने के बाद उन्होंने जिला पंचायत की बैठक में मुद्दे को कई बार उठाया, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने कोई ध्यान नहीं दिया। पहले तो अफसर यह कहकर पल्ला झाड़ते रहे कि यह भवन उनके अधीन नहीं है, फिर बाद में कहा गया कि अस्पताल शुरू करने के लिए पर्याप्त स्टाफ की जरूरत है। साथ ही उपकरणों की भी आवश्यकता होगी, लेकिन न तो स्टाफ की स्वीकृति मिली है और न ही उपकरण की व्यवस्था की गई है।कोरोना काल में जब अस्पताल भवन की कमी थी और मरीजों के लिए सरकारी भवनों को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया जा रहा था, तब भी स्थानीय लोगों ने नवनिर्मित अस्पताल भवन को क्वारेंटाइन सेंटर बनाने की मांग की थी, लेकिन अफसरों ने इस भवन को जानबूझकर खंडहर बनने के लिए छोड़ दिया। भवन बनने के बाद इसकी सुरक्षा पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया।
CMHO डॉ. प्रभात श्रीवास्तव का कहना है कि सीपत में 100 बेड अस्पताल भवन बनने की जानकारी नहीं है। केवल यह पता चला है कि इसका निर्माण छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने भवन बनाया था। यह भी जानकारी मिली है कि भवन का निर्माण सिम्स के ट्रेनिंग सेंटर और अस्पताल के लिए किया गया था। इस संबंध में छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड को पत्र लिखकर जानकारी ली जाएगी। मौसमी बीमारी या फिर महामारी के समय यह अस्पताल भवन उपयोगी साबित हो सकता है, क्योंकि इस समय स्वास्थ्य केंद्रों में बिस्तर कम पड़ जाते हैं।