छत्तीसगढ़

बिलासपुर : बिना स्टाफ के चल रहा सिम्स का वायरोलॉजी लैब: कोरोना काल में हुआ था शुरू…

बिलासपुर। संभाग के सबसे बड़े अस्पताल सिम्स के वायरोलॉजी लैब में बिना स्टाफ के काम चल रहा है। जिसके चलते मरीजों के सैंपल की जांच नहीं हो पा रही है। संविदा कर्मचारियों की अवधि आचार संहिता के बाद खत्म हो गई है। ऐसे में अब सिम्स में कोरोना के आरटी-पीसीआर सहित दूसरे सैंपलों की जांच बंद हो जाएगी।

दरअसल, वायरोलॉजी लैब में कोरोना वायरस के साथ ही डेंगू सहित मौसमी बीमारियों के संक्रमण की भी जांच की जाती है। इसे देखते हुए सीएम साय ने अस्पतालों में ढांचा-गत सुविधाओं को व्यवस्थित करने के निर्देश दिए थे, लेकिन संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज सिम्स के एकमात्र वायरोलॉजी लैब में साइंटिस्ट, टेक्नीशियन और स्टाफ की कमी का संकट होने वाला है।

यहां एक महिला और एक पुरुष स्टाफ मिले। उन्होंने बताया कि, वे दूसरे विभाग से यहां अटैच हैं। एक आयुष्मान कार्ड का काम देखता है। अभी वायरोलॉजी लैब में एंट्री का काम देख रहा है, लेकिन गिने-चुने लोगों की ही एंट्री हो रही है। यही वजह है कि संविदा स्टाफ के नवीनीकरण पर अफसर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

वायरोलॉजी लैब में 20 से 25 स्टाफ है, जिनकी संविदा नियुक्ति हुई थी। शासन के निर्देश के अनुसार हर 6 महीने से तीन माह के भीतर उनका एक्सटेंशन किया जाता है। ऐसे में संविदा अवधि बढ़ने की उम्मीद में स्टाफ बिना सैलरी के सेवाएं दे रहे हैं। पिछली बार अप्रैल में उन्हें तीन महीने के लिए एक्सटेंशन मिला था, जिसकी अवधि समाप्त हो चुकी है।

माइक्रोबायोलॉजी विभाग में संचालित वायरोलॉजी लैब में कार्यरत संविदा साइंटिस्ट, टेक्नीशियन, एमएलटी, लैब अटेंडेंट और स्वीपर की संविदा सेवा अवधि समाप्त हो गई है। इनकी सेवा अवधि बढ़ाने के लिए विभाग ने पहले ही उच्च अधिकारियों से चर्चा की थी। जिस पर आज तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। संविदा स्टाफ का नवीनीकरण नहीं होगा, तो लैबोरेट्री स्टाफ के बगैर ही संचालित होगी।

शहर में कोविड-19 के नियंत्रण और बचाव की सभी सुविधाएं पिछले कई महीनों से बंद पड़ी हैं। स्वास्थ्य विभाग ने सैंपल लेने के लिए अलग-अलग 6 जगहों पर सैंपलिंग के लिए सेंटर बनाए थे, जो पिछले 6 महीने से बंद हैं। यहां तक की सिम्स और जिला अस्पताल में भी कोरोना टेस्ट नहीं हो पा रहा है।

कोरोना संक्रमण की जब प्रदेश में शुरुआत हुई थी, तब वायरोलॉजी जांच एकमात्र रायपुर एम्स में ही हो रही थी। बाद में बिलासपुर समेत पूरे संभाग में जब संक्रमण बढ़ने लगा, तो लैब की मांग होने लगी। इसके बाद बिलासपुर में भी वायरोलॉजी लैब की स्थापना की मांग की जाने लगी।

इसके लिए प्रक्रिया शुरू की गई और फिर जल्द ही सिम्स में इसकी स्थापना कर कोरोना की जांच शुरू हुई। इससे इसकी रोकथाम में काफी हद तक मदद भी मिली थी। जिसके बाद यहां दूसरे सैंपल की भी जांच शुरू की गई।

इधर, सिम्स के डीन डॉ. केके सहारे का कहना है कि, वायरोलॉजी लैब में कर्मचारियों की जरूरत है। जिसके लिए संविदा कर्मियों को एक्सटेंशन देने के लिए प्रस्ताव बनाकर हेल्थ डायरेक्टर को भेजा गया है। संविदाकर्मियों के एक्सटेंशन को लेकर उन्हें ही आदेश जारी करना है। लेकिन, वहां से अभी तक अनुमति नहीं मिल पाई है।

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