छत्तीसगढ़ क्रिकेट बोर्ड एक व्यक्ति तक हुआ सीमित…. क्रिकेट बोर्ड बना कांग्रेसी नेताओं का अड्डा???…..
◆ सत्ता बदलने के बाद भी नही बदला क्रिकेट बोर्ड का चेहरा…. शराब कारोबारी के इशारे में चल रहा छत्तीसगढ़ क्रिकेट बोर्ड???….
रायपुर। छत्तीसगढ़ के क्रिकेट बोर्ड की कहानी भी बड़ी गजब है।सत्ता किसी की भी हो पर क्रिकेट बोर्ड में कब्जा एक ही व्यक्ति का बरकरार है।पगड़ी वाले बाबा के बिना क्रिकेट बोर्ड का एक भी पत्ता इनके इशारे के बिना नही हिलता। राजनांदगांव से रायपुर में अपना बसेरा बनाने वाले ने क्रिकेट बोर्ड में अपना प्रभुत्व बना लिया है। विद्या भैया के बाद डॉ साहब के बहुत नजदीकी लोगो मे इनके गिनती हुआ करती थी। पिछले पंच वर्षीय काल मे भूपेश बघेल को भी अपने लपेटे में ले लिए थे।अब प्रदेश की सत्ता में भाजपा काबिज है।अब भी क्रिकेट बोर्ड में इनका जलवा बना हुआ है। शराब कारोबारियों के हांथ में क्रिकेट बोर्ड की कमान देना कहा तक सही है। सरकार को इस बारे में विचार करना चाहिए।
कहने वालों का कहना है कि क्रिकेट बोर्ड में बहुत फंड है।करोड़ो का वारा न्यारा यहाँ होता आ रहा है। छत्तीसगढ़ के क्रिकेट बोर्ड में पगड़ी वाले बाबा का पूरा कब्जा बना हुआ है।खुद डायरेक्टर बने हुए है। बेटे को भारतीय क्रिकेट बोर्ड में फिट करवाया हुआ है। साथ ही अपने एक पार्टनर को भी डायरेक्टर बनाकर रखे हुए है। इससे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने पार्टनर व करीबी मित्र के सुपुत्र को छत्तीसगढ़ क्रिकेट बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर रखे हुए है। कुल मिलाकर क्रिकेट बोर्ड एक व्यक्ति की ही निजी कंपनी बनी हुई है। प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस खेल को जानने की आवश्यकता है।
छत्तीसगढ़ क्रिकेट बोर्ड की कार्यशैली से अब तक छत्तीसगढ़ के कितने युवाओं को फायदा मिला इसकी जांच होनी चाहिए।आखिर इतना बड़ा संघ एक व्यक्ति की जागीर कैसे बन गया।इस शराब कारोबारी की भी बड़ी कहानी है।इनके यहाँ भी कई मर्तबा आईटी का छापा भी पड़ चुका है।शराब और क्रिकेट का जोड़ समझ से परे है।इस शराब कारोबारी के खुद के कई ब्रांड है जिनमे यह बीयर व वाइन बनाते है।क्रिकेट संघ की आड़ में अपने व्यवसाय को विदेशों तक पहुचाने में भी सफल रहे है।सूत्रों के अनुसार विदेश में इनके ब्रांड की अच्छी सप्लाई है।अब इनको व्यवसाय से ज्यादा महत्वपूर्ण क्रिकेट बोर्ड क्यो लगता है इसको आसानी से समझा जा सकता है।
बिलासपुर सहित सभी जिलों में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं व नेताओ को क्रिकेट संघ में रखकर अपना खेल खेलते आ रहे है।आज भी छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ के टूर्नामेंट में कांग्रेस के नेताओ को अतिथि बनाकर उनका जलवा बनाने का काम किया जा रहा है।सरकार को इस बारे में विचार करने की जरूरत है।सत्ता के साथ खेल का अलग ही जुड़ाव है।पगड़ी वाले बाबा अपने खेल में अब सफल ही रहे है।कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ क्रिकेट बोर्ड एक व्यक्ति तक ही सीमित रह गया है।जो कि कांग्रेसियों का पाल पोषण में लगा हुआ है।प्रदेश की विष्णुदेव सरकार को तत्काल इस संगठन को भंग करने की आवश्यकता है।
जानिए, क्या मायने हैं पूर्ण सदस्यता हासिल करने के :
- बिना पूर्ण सदस्यता के राज्य में अंतरराष्ट्रीय मुकाबले नहीं कराए जा सकते।
- पूर्ण सदस्यता मिलते ही अब हर साल छत्तीसगढ़ को 20 करोड़ रुपए मिलेंगे।
- राज्य को अपनी रणजी टीम बनाने की पात्रता हासिल हो गई है।
- राज्य के एकमात्र क्रिकेट स्टेडियम में हर साल बड़े मुकाबले हो सकेंगे।