कांकेर : कलेक्टर की छुट्टी कर सरकार ने अफसरों को दिया बड़ा मैसेज, जानिये क्यों हटाए गए कलेक्टर अभिजीत सिंह…
कांकेर। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता समाप्त होते ही बस्तर संभाग के कांकेर जिले के कलेक्टर अभिजीत सिंह को हटा दिया। अभिजीत का कांकेर का कलेक्टर बने छह महीने ही हुए थे। उनकी जगह पर 2011 बैच के नीलेश क्षीरसागर को कांकेर कलेक्टर बनाया गया है। नीलेश इस समय निर्वाचन में एडिशनल सीईओ हैं। नीलेश का यह चौथा जिला होगा। वे जशपुर, गरियाबंद और महासमुंद के कलेक्टर रह चुके हैं।
क्या अभिजीत से सरकार नाराज?… : लोकसभा चुनाव में कांकेर में पोस्टल बैलेट की काउंटिंग में देरी को लेकर सरकार इतनी नाराज हो गई कि आचार संहिता समाप्ति की अगली सुबह ही उन्हें हटाने की फाइल मूव हो गई। बताते हैं, कल शाम निर्वाचन आयोग ने जैसे ही आचार संहिता समाप्त करने का आदेश् जारी किया, छत्तीसगढ़ के सामान्य प्रशासन विभाग के सिकरेट्री को एक लाइन का प्वाइंट मिला..कांकेर कलेक्टर को हटाकर नीलेश श्रीरसागर का आदेश निकाला जाए। जीएडी सिकरेट्री ने तुरंत नोटशीट तैयार किया और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के कल रात दिल्ली रवाना होने से पहले उनसे अनुमोदन ले लिया। हालांकि, कुछ अफसरों का ये कहना है कि मुख्यमंत्री से दिल्ली से आज व्हाट्सएप के जरिये अनुमोदन लिया गया। इसके बाद जीएडी ने अभिजीत सिंह को हटाकर नीलेश को कांकेर का कलेक्टर बनाने का आदेश जार कर दिया। अभिजीत को इस तरह हटाने से ब्यूरोक्रेसी आवाक रह गई। एक-दूसरे को फोन खड़खड़ाना चालू हो गया कि आखिर किस बात की वजह से कलेक्टर की इस तरह छुट्टी की गई।
पोस्टल बैलेट में गिनती में लेट : जानकार बताते हैं, कांकेर लोकसभा सीट पर मात्र 1884 वोटों से बीजेपी प्रत्याशी भोजराज नाग को जीत मिल पाई। चूकि 4 जून को काउंटिंग के दिन कांकेर को लेकर चुनाव आयोग से लेकर सत्ता के गलियारों तक बेहद बेचैनी थी। बीजेपी की सीटें बेहद डाउन हो रही थी, सो दिल्ली से भी एक-एक सीट का हिसाब लिया जा रहा था। कांकेर में कांटे का टक्कर था। कभी कांग्रेस प्रत्याशी आगे, तो कभी बीजेपी की। ऐसे में, अफसरों का कहना है कि सीईओ रीना बाबा कंगाने खुद फोन कर कलेक्टर को कहा कि चार, साढ़े चार बजे तक पोस्टल बैलेट की गिनती कंप्लीट कर दें। उसके घंटे भी बाद भी पोस्टल बैलेट की गिनती कंप्लीट नहीं हुई। उधर, सरकार में बैठे लोगों की सांसे उपर-नीचे हो रही थी…कांकेर अगर हाथ से जाता तो फिर दो सीटें कांग्रेस की झोली में चली जाती। दिल्ली वाले भी बार-बार फोन कर कांकेर का अपडेट ले रहे थे। अपुष्ट खबर ये भी है कि पांच बजे तक पोस्टल बैलेट गिनती का काम पूरा नहीं हुआ तो रायपुर से किसी शक्तिशाली व्यक्ति से जुड़ा कोई फोन भी गया। इसके बाद भी कांकेर से रिस्पांस अच्छा नहीं मिला। बहरहाल, शाम छह बजे पोस्टल बैलेट की काउंटिंग पूरी हो पाई।
सिंगल आर्डर का क्या मतलब : 4 जून की तनाव की घड़ी में कांकेर में पोस्टल बैलेट को लेकर जो हुआ, उससे सरकार का गुस्सा सातवे आसमान पर पहुंच गया। तभी कांकेर कलेक्टर का सिंगल आर्डर निकाला गया। सिंगल आर्डर का मतलब ये संदेश देना होता है कि नाराजगी की वजह से अफसर को निबटाया गया है।
अभिजीत का हार्ड लक : पिछली कांग्रेस सरकार में अभिजीत नारायणपुर के कलेक्टर थे। वहां के विधायक की शिकायत पर सरकार ने तीन महीने में ही हटा दिया था। अब कांकेर में पोस्टल बैलेट का मामला आ गया। पोस्टल बैलेट में हालांकि, उनकी मंशा गलत नहीं रही होगी क्योंकि इसी सरकार में उन्हें अभी साढ़े चार साल काम करना है। मगर पोस्टल बैलेट की गिनती के नियमों, कायदों के चलते काफी लेट हो गया। दूसरा, कांकेर में विधानसभा चुनाव के समय भी इसी तरह का एपिसोड हुआ था। तीसरा, अगर बीजेपी प्रत्याशी की लीड की मार्जिन काफी होती तो सिस्टम का ध्यान कांकेर पर नहीं जाता। क्योंकि, वास्तविकता यह है कि कई जिलों में पोस्टल बैलेट की गिनती का काम लेट हुआ था।