आरोप : जिला पंचायत सीईओ केपी तेंदुलकर की आरोपियों के संरक्षण को लेकर प्रदेश में कर रहे ख्याति प्राप्त?…जाने क्या है पूरा मामला…
◆ आवेदक विवश होकर पहुंचा न्यायालय, आरोपी जिला प्रशासन की छवि को धूमिल करने में नही दिखा रहे कोई कसर?…
जीपीएम : दीपक गुप्ता : जिले के गौरेला जनपद पंचायत में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर उतर आया है, जिसके संरक्षणकर्ता जिला पंचायत सीईओ केपी तेंदुलकर को बताया जा रहा है; वहीं सूत्रों की माने तो आवेदक द्वारा केपी तेंदुलकर जिला सीईओ को भ्रस्ताचारियो के विरुद्ध आवेदन पत्र लगातार दे देकर विवश होने की बात आज चर्चा का विषय बन चुकी है
आपको बता दे कि इनकी तानासही एवं मनमर्जी से तंग आकर आवेदक ने न्यायालय का रास्ता चुना, प्रार्थी का आरोप है कि पंचायत सिर्फ और सिर्फ कमीशन खोरी और वसूली का अड्डा बन चुका है, ढेरो शिकायत होने पर भी मूक दर्शक बन देखते रहते हैं।
वहीं जब हमने आम जन से बात जाननी चाही तो उनका कहना है कि मामले में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना कहना गलत नहीं है, केंद्र सरकार की योजना मनरेगा में दोसी लोगो की आज दिनांक तक कोई वसूली नही होना ना ही मजदूरी को उनकी मजदूरी दिलवाना, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी जिला पंचायत सीईओ केपी तेंदुलकर की है, आगे उन्होंने बताया कि जिला सीईओ केपी तेंदुलकर की हरकतों को देखकर लगता है कि इनके द्वारा अपने जनपद सीईओ को सिर्फ वसूली कर संरक्षण देने का मौखिक आदेश दिया गया है, देखना दिलचस्प होगा कि जिला प्रशासन द्वारा इस संरक्षणकर्ता जिला सीईओ केपी तेंदुलकर के किलाफ क्या करती हैं।